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जैन - इतिहास में कांगड़ा
लेखक: -- डा. बनारसीदासजी जैन, लाहौर ( गतांकसे क्रमशः )
यह तो है जैन अवशेषोंका हाल जैसा कि वे आजकल मिल रहे हैं । यद्यपि इस समय कांगड़ा जिले में कोई जैन नहीं पाया जाता, ७ तथापि इन अवशेषोंसे भली प्रकार विदित होता है कि किसी समय कांगड़ा बड़ा महत्वशाली जैन केन्द्र होगा । कनिंघम साहिब लिखते हैं कि दिहली बादशाहों की ओरसे यहांके दीवान दिगम्बर जैन होते थे, परंतु अपने कथनंकी पुष्टिमें उन्होंने कोई प्रमाण नहीं दिया । शायद किसी फ़ारसी ग्रन्थके आधार पर ऐसा लिखा होगा |
होशियारपुर के जिले में जैजों नामक कस्बेमें जैनोंकी बड़ी ही प्राचीन बसती है । उनमें अबतक दंतकथा चलती है कि ६०० वर्ष पूर्व काहनचंद कटोचने कोट कांगड़ा में भगवान् ऋषभवकी प्रतिमा स्थापित की थी ।
इस बात का पता नहीं लग सका कि जैन लोग कांगड़ा में पहले पहल कब और क्यों आये । अनुमान तो यही है कि व्यापार या राजकार्य के निमित्त वे यहां आये होंगे । खरतर - गच्छकी एक पट्टावली में १० लिखा है कि सं० १२५१ में मुसलमानोंने अजमेर को अपने हस्तगत कर लिया । इससे दो महीने तक बड़ा संकट रहा । फिर सं० १२५३ में मुसलमानोंने श्रीपट्टन ( अणहिलवाड पाटण ? या दिहली ? ) को भी जीत लिया, लेकिन तो भी जैन लोग छोटे २ रजवाड़ोंके वहां आदर और रक्षा पाते थे । जैसे-बागड देशमें दरिद्रेरकके राना आसराज (सं० १२७१में जीवित ) के पास, और नगरकोटके राजा पृथ्वीचन्द्रके ११ पास, जिसके राजपंडित को इस पट्टावली के प्रथम दो भागों के रचयिता जिनपालने विवाद में हराया था । गुजरातमें जैनधर्म ज़ोरों पर रहा।
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७. सन् १९३१की गणना के अनुसार कांगड़ा जिलामें केवल ९४ स्त्रीपुरुष जैनी थे ।
८. कनिंघमकी नोट नं० १ में निर्दिष्ट रिपोर्ट, पृ० १६५ ।
९. Hoshiarpur District Gazetteer, 1904, p. 73.
10. Indian Historical Quarterly, Vol. IX part 4, December 1935. pp. 779-81.
इस पट्टावलीके तीन भाग हैं । पहलेमें खरतर - आचार्य पट्टावली, दूसरेमें जिनचन्द्र, जिनपति और जिनेश्वरका वर्णन है । इसे जिनपतिके शिष्य जिनपालने लिखा था, अतः यह शुद्ध और विश्वसनीय है । तीसरा भाग सं. १३९३ तक जाता है । इसमें कुतुबुद्दीन खलजी और गयासुद्दीन तुगलकुका समय सं. १३७५ और १३७९ दिया है जो ठीक है । इसकी प्रति बीकानेरनिवासी श्रीयुत अगरचंद नाहटाके पास है । इसपर नोट पं. दशरथ शर्माने लिखा है ।
११. कनिंघम ( पृ० १५२ ) ने पृथ्वीचन्द्रका समय सन् १३३० अनुमानित किया है । इसमें अशुद्धिकी संभावना है ।
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