SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 90
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ For Private And Personal Use Only ६ सं. १४९९ ७ सं. १५२४ के लगभग veg ९ सं. १३३४ वै. शु. ७ २ सं. १३६१ वै. शु. १५ वर्धमानपुर ३ सं. १४०५ दिल्ली विक्रमचरित्र १३ ग्रं. ६७१२ सिंहासनद्वात्रिंशिका १४ विक्रमचरित्र पद्य ३६ पंचदंड प्रबंध प्रभावक चरित्र प्रबंधचितामणि तपागच्छीय शुभशील धर्मघोषगच्छीय राजवल्लभ राजमेरु इंद्रसूरि पूर्णचंद्र (२) प्रबंध संग्रहों के अन्तर्गत सामग्री प्रभाचंद्रसूरि मेरुतुंगसूरि राजशेखरसूरि प्र. हेमचंद्राचार्य ग्रं. अमदावाद, प्रति-गोविंद पुस्तकालय सं. १६१२ लि. बीकानेर जीरा (पंजाब) भंडार उ. जैन ग्रंथावली पृ. २५९ ११ १६० वृद्धवादिप्रबंध विकमार्कप्रबंध प्रबंध कोष ( चतुर्विंशति प्रबंध) पुरातन प्रबंध संग्रह अज्ञात ४ १३ वींसे १५ वीं शताब्दी ५ अज्ञातकर्तक कई प्रबंध एवं चरित्र जैन भंडारोमें प्राप्त हैं । ( नं. १ से ४ ग्रंथ सिंधी जैन ग्रन्थमालासे प्रकाशित हैं ) विक्रमादित्यप्रबंध सिद्धसेनप्रबंध विविधविक्रमार्क प्रबंध १३ इसकी प्रति बीकानेर के जयचंद्रजीके भंडार में भी है । इसके १२ सगँके नाम इस प्रकार हैं- अग्निवेतालोत्पत्ति, सुकोमलाप्राणिग्रहण, खर्परचोरोत्यत्तिनिग्रह, विक्रमचरित्रजन्म अवदातकरण - पितृमिलन, शुभमतिरूपमतीपाणिग्रहण, विक्रमचरित्र कनकश्रीनाम, सिद्धसेनप्रबोध-वसुधाअनृणीकरण की तस्तभविरचन, शत्रुंजयोद्धार, पंचदंडवर्गन, कालीदासोत्यति सौभाग्यसुन्दरीपरिणयन- तत्परीक्षाकरणाथ वटकुमार मिलन, विक्रमादित्यस्वर्गगमन, चतुश्चामरहारिणीवर्णन विक्रचरित्रराज्योपवेशन यात्राकरण स्वर्गगमन १४ इसकी यह एक ही प्रति पत्र ४८ की बीकानेरके गोविंदपुस्तकालय में मिली है। इसमें इससे पूर्व सिद्धसेनरचित उक्त कथाका उल्लेख है, जैसे" पूर्व श्रीसिद्धसेनेन विक्रमादित्यकीर्तनम् । कृतं सिंहासनस्थानं जनजनमनोहरम् ॥ १ ॥ " अंतमें कर्ताने अपना परिचय एवं गद्यबंधसे उक्त पयबंधकथा रचनेका निर्देश इस प्रकार किया है गच्छः श्रीधर्मघोषस्तदनु सुविहितश्चक्रचूडामणित्वं वादीन्द्रो धर्मसूरिर्नृपवर तिलको बोधको बीसलस्य 1 जिल्ला वादान्यनेकविविधगुणगणा शासने चोन्नतिं यः यस्य श्रीमूलपट्टे त्रिजगजयकरो श्रीयशोभद्रसूरिः ॥ ७२ ॥ श्रीविक्रमार्कगुणवर्णनगद्ययं धात् पये कृता सुगमता जनकोतुकाय । सुरेन्द्रशिष्यमहिचन्द्रगुणाधिकेन श्रीराजवल्लभकृता वरपाठकेन ॥ ७३ ॥ १८४ ] શ્રી જૈન સત્ય પ્રકાશ | १००-१-२ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
SR No.521597
Book TitleJain_Satyaprakash 1944 01 02 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1944
Total Pages244
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size120 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy