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आचार्य कालकसरि अने राजा गर्दभिट्ट
श्री कालक कथाना आ न्हाना चित्रमां चित्रकारे बहु ज कुशलताथी कथाना मुख्य बे प्रसंगो आलेख्या छे : १- उपरना भागमां-राजा गर्दभिल्ले साधेली गर्दभी उज्जयिनीना किल्लाना गढ उपर ऊभी रहीने भूकवा माटे मोढुं उघाडे छे, अने आचार्य कालकनो आज्ञा मुजब शक सैनिको तीरोथी तेनुं मोढुं बंध करी दे छे. २-नीचेना भागमां-शक सैनिक राजा गर्दभिलने श्री कालकसूरि पासे हाजर करे छे.
[ श्री साराभाई नवाब प्रकाशित 'श्रीचित्रकल्पसूत्र 'मां प्रगट थयेल आ चित्र तेमना सौजन्यथी अहीं प्रकाशित थाय छे. आ चित्र पाटणमां पू. मु. म. श्री पुण्यविजयजो म.ना भंडारमां कल्पसूत्रनी एक हस्तलिखित प्रतमांनुं छे. आ प्रत १५-१६मी शताब्दीनी मनाय छे. ]
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