SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 51
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir દીપત્સવી અંક] શ્રી હરિભદ્રસૂરિ ४७) यह तो उनके योग विषयक ग्रन्थों की समालोचना है, इस प्रकारकी तलस्पर्शिता, मर्मज्ञता और नवीनता उनके दूसरे ग्रन्थों में भी पाई जाती है । उनके कथासाहित्यकी अमर कृति 'समराइच्चकहा है जिसका अनेक विद्वानोंने अंग्रेजीमें अनुवाद किया है, जिनमेंसे सुप्रसिद्ध डा. हर्मन याकोबीको टीका तो कलकत्ता एशियाटिक सोसायटी आफ बंगालकी ओरसे प्रकाशित हो चुकी है। अंग्रेज विद्वानोंद्वारा उनके साहित्यको ऐसा सन्मान प्राप्त होना साधारण महत्त्वकी बात नहीं । विस्तारभयसे उनके प्रत्येक ग्रन्थका इस लेख में परिचय दुःशक्य होनेसे उनके ग्रन्थोंकी सूची देकर ही सन्तोष करेंगे । यद्यपि उन्होंने १४४४ ग्रन्थोंका निर्माण किया, परन्तु उनके सभी ग्रन्थ उपलब्ध नहीं। उनके उपलब्ध एवं प्रसिद्ध ग्रन्थोंके कुछ नाम यहां दिये जाते हैंपदर्शनसमुच्चय पंचवस्तुप्रकरगटीका शास्त्रवार्तासमुच्चय पंचसूत्रप्रकरगटीका योगदृष्टिसमुच्चय श्रावकधर्मविधिपंचाशक योगशतक दीक्षाविधिपंचाशक योगबिन्दु ज्ञानपंचकविवरण धर्भबिन्दु लग्नकुंडलिका अनेकान्तजयपताका लोकतत्वनिर्णय अनेकान्तवादप्रकाश अष्टकप्रकरण वेदबाह्यतानिराकरण दर्शनसप्ततिका संबोधप्रकरण श्रावकप्रज्ञप्ति संबोधसप्ततिका ज्ञानचित्रिका उपदेशपदप्रकरण धर्मसंग्रहणी विंशतिकाप्रकरण षोडषक आवश्यकसूत्रबृहद्वृत्ति (शिष्यहितानामकटीका) ललितविस्तरा (नामक चैत्यवन्दनवृत्ति) अनुयोगद्वारसूत्रवृत्ति कथाकोष दिग्नागकृत न्यायप्रवेशसूत्रवृत्ति समराइञ्चकहा नन्दीसूत्रलघुवृत्ति यशोधरचरित्र दशवैकालिकवृत्ति वीरांगदकथा प्रज्ञापनासूत्रप्रदेशव्याख्या धूर्ताल्यान जम्बूद्वीपसंग्रहिणी मुनिपतिचरित्र आदि For Private And Personal Use Only
SR No.521573
Book TitleJain_Satyaprakash 1941 09 10 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1941
Total Pages263
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size130 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy