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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स 31 - કુચ ફળ અંગે પત્રવ્યવહાર [૧૧] पत्रकी पहुंच अवश्य लिखकर उपकृत करें। मेरे योग्य साहित्यसेवा फरमावे। शीघ्र आशास्पद उत्तर की अपेक्षा रखता हूआ आपका रतिलाल दीपचंद देसाई व्यवस्थापक 'किलोस्कर' के सम्पादकका लिखा हुआ पत्र अमदाबाद, १९-१०-४० श्रीमान सम्पादकजी महाडाय किलोस्कर', - आपके मासिकक गत जुलाई मासके कम श्रीयुत द. पां. नखांबेटे महाशयने लिखी 'चे देऊळ' शीर्षक जो कथा प्रकर हुई है उसने हमारे जैन समाजक हृदयको बहुत दुख पहुँना है। हमारे मतमे ऐसी असत्य एवं केवल काल्पनिक आक्षेपमे पूर्ण कथा 'किलस्किर' जैसे सार्वजनिक पत्रमें प्रकट होमा शोभास्पद नहीं है। उस कथा में श्रीहेमचन्द्राचार्य जैसे जैन समाजके एवं गुजरात के महान ज्योतिर्धर आचार्यके उपर बहुत दुष्ट आक्षेप किये गये हैं। इस विषयमें अधिक न लिखकर हमने जो पत्र श्रीयुत द. पां. खांबेटे महाशयको लिखा है उसकी नकल आपको इसके साथ भेनी है उससे सत्य हकीकत आपको ज्ञात हो सकेगी। मुझे आशा है-ऐसी असत्य कथा प्रगट करनेके लिये आप अपने पत्र में अवश्य खुलासा करेंगे व श्रीमान् द. पां. खांबेटे महाशयको भी अवश्य खुलासा करने का अनुरोध करेंगे। जिस कथाने सारे जैन समाजको दुःख पहुंचाया है उसके लिए इतना करना आवश्यक है। हमें आशा है एक पत्रकारके पवित्र संबंधसे आप अपना यह कर्तव्य अवश्य अदा करेंगे । विशेष क्या? इस पत्रकी पहुंच अवश्य दें । हमारे योग्य साहित्यसेवा लिखें । शीघ्र उत्तर की आशा रखता हुआ --आपका रतिलाल दीपचंद देसाई व्यवस्थापक _P.S. श्रीमान् द. पां. खांबेटे महाशयका पता (Address) हमें मालुम नहीं होनेसे, हमने जो पत्र उन्हें लिखा है वह (पोस्ट स्टेंप के साथ) आपके उपर भेजा है । आप यह पत्र उन्हें शीघ्र भेज कर अनुगृहीत करें। और उनका पत्ता हमें सूचित करें । For Private And Personal Use Only
SR No.521564
Book TitleJain Satyaprakash 1940 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1940
Total Pages44
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size21 MB
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