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મૂલાચાર
इनमें से कतिपय गाथाओं का नमूना भी देख लीजिए:
पिण्डे उग्गम उपाय - णेसणासंजोयणा पमाणं च । गालधूमकारण, अवहा पिंडनिज्जुती ॥ पिं० १ ॥ उग्गम उप्पादण एसणं, च संजोजणं पमाणं च । इंगालधूमकारण, अट्ठविहा पिण्ड सुद्धी दु ॥ मू० २ ॥ जावंत देवदत्ता || पिं० १४२ ॥
पासंडीसु एवं मीसामी से होइ हु विभासा ।
समणे संजयाण, उ विसरिस नामाणवि न कप्पे ॥ पिं० १४३ ॥ जावदियं उद्देसो, पासंडोति हवे समुद्देसो । समणोति य आदेसो, णिग्गंथोति यहवे समादेसो || मू० ७ ॥ सहाण परट्ठाणे दुविहं, ठवियं तु होइ नायव्वं ॥ पिं० २७७ ॥ चल्ली अवचूलो वा ठाण सठाणं तु भायणं पिढरे । सट्टान हाणं मिय भायणट्टाणेय चउभंगा || पिं० भा० ३४ ॥ पागादु भायणाओ अण्णम्हि य भायणम्हि पक्खविय । सघरे व परघरे वा, निहिदं उविदं वियाणाहि ॥ भू० ११ ॥ पाहुडिया विदुविहा वायरसुहुमाय होइ नायव्वा ( दुविहमेकेकं ) ओकण मुस्सकण || पिं० २८५ मू० १३ ॥ धाई दुइनिसित्ते आजीव विणिमगे तिमिच्छाय ।
कोहे माणे मायालोमे अ हवन्ति दस ए ए ॥ नि० ४९८ ॥ मू० २६ ॥ पुचि पच्छा संथवविजा - मंते य चुन्नजोगे य । उपायणा दोसा, सोलसमे मूलकम्मे य ॥ नि० ४०९ ॥ मू० २७ ॥ संfar after निखित्त - पहिय साहयरिय दायगुम्मी से । अपरियणलित्त छडिय एसणदोसा दस हवन्ति ॥ पिं० ५२० ॥ संकि मक्खिद निक्खिद- पिहिदं संववहरण दायगुम्मिसे । अपरिणद लित्त छोडिद पशणदोसाई दस पदे ॥ भू० ४३ ॥ संजोयणाए दोसो जोसंजोएड भत्तपाणं तु ॥ नि० ६३८ ॥ मू० ५७ ॥ पगामं च निगामंच, पनोयं भत्तपाणमाहरे । अयं अइबहुसो पमाणदोसो मुणेयब्वो || पं० ६४४ ॥ अदिमत्तो आहारो पमाणदोसो हवदि एसो ॥ मू० ५७ ॥ होइ स - इंगालं, जं आहारेइ मुच्छिओ संतो ।
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तं पुण होइस धूमं जं आहारेइ निंदतो ॥ पिं० ६६५ ॥ मू० ५८ ॥ वेणवेावच्चे, इरियट्टाए य संजमट्टाए ।
तहपाणवत्तियाए, छटुं पुण धम्मचिंताए । पिं० ६६२ ॥ वेणयवेजावच्चे, किरियाठाणे य संजमट्ठाए ।
त पाणधम्मचिंता, कुजा एदेहिं आहारं ॥ मू० ६० ॥ पिंडनि० गा० ६६२, मू० प० ६ गा० ६०, उत्तराध्ययनसूत्र उ० २६ गा० ३३ ॥