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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra [ २८२ ] www.kobatirth.org. શ્રી જૈન સત્ય પ્રકાશ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ है और भानुचंद्रचरित्र तो श्री मोहनलाल दलोचंद देशाई द्वारा सम्पादित होकर इसी ग्रन्थमाला से छप चुका है। इस लेख में जिस वादिदेवखरिचरित्र का परिचय दे रहा हूं उसके भी प्रकाशन की व्यवस्था हो जातो पर खेद है कि उसकी प्रति पूरी नहीं उपलब्ध हुई । आशा है साहित्यप्रेमो विद्वान, यदि कहीं इसकी पूरो प्रति प्राप्त हो या हो जाय तो सूचित करने की कृपा करेंगे । प्रति- परिचय हमारे संग्रह के अपूर्ण हस्तलिखित ग्रन्थो में इस वादिदेवसूरिचरित्र की २५ पत्रों की एक प्रति है । पत्रों के कागद मोटे एवं मजबूत हैं । प्रत्येक पृष्ठ में १५ पंक्तिये और प्रत्येक पंक्ति में करीब ४० अक्षर लिखे हुए हैं । प्रति अपूर्ण अवस्था में होनेके कारण लेखनसमय निश्चितरुप से नहीं कहा जा सकता, फिर भी पत्रों एवं अक्षरों को देखते हुए प्रति पन्द्रहवीं शताब्दी की अर्थात् करीब ४००-५०० वर्ष पुरानी प्रतीत होती है । ग्रन्थ के विषय को देखते हुए ग्रन्थ काफी बड़ा होना चाहिये, पर हमे प्राप्त २५ पत्रों में तो केवल तीसरा प्रस्ताव संपूर्ण हो कर चौथे प्रस्ताव के ५५ श्लोकों तक है । उपलब्ध प्रस्तावों के नाम व श्लोक संख्या इस प्रकार है । ( १ ) पत्रांक ४ श्लोक ९२ अंत : - इति सुरसरिज्जलपवित्रे वादों द्रश्रीदेवस्ररिचरित्रे निरंकेपि पूर्णभद्रांके प्रभावनापूर्णचंद्रजन्मादिवर्णनो नाम प्रथम प्रस्ताव: ॥ ग्र. १२९ श्लोक अ० ॥ छ ॥ ( २ ) पत्रांक १० श्लोक १३९ अंत :- इति दन्द्रश्रीदेवविरित्रे निरंकेपि पूर्णभद्रांके शिशुत्वाश्वावबोधशकुनी चरित्रधर्मदेशना - गुरु-पुत्रप्रदानादिवर्णनो नाम द्वितीय: प्रस्ताव : ॥ छ ॥ (३) पत्रांक २४ A में तृतीय प्रस्ताव समाप्त, श्लोक ३६१ अंत :- इति वादीन्द्रश्रीदेवस्ररिचरित्रे निरंकेपि पूर्णभद्रांके पूर्णचंद्रत्रतग्रहणोत्थापनाकरण - योगोलहन सकलस्वपरशास्त्राध्ययन-दिग वरेन्द्र गुणचंद्रादिवादिजयन - वीरभद्र पवित्रचरित्र प्रकाशितगणिरामचंद्राचार्य पदस्थापन विषय संघाभ्यर्थनादिवर्णनो नाम तृतीय: प्रस्ताव : ॥ ३ छ ॥ For Private And Personal Use Only ग्रन्थ का विषय तो उपर दिये हुए प्रस्ताववाक्यों से स्पष्ट हो जाता है, फिर भी विशेष जानकारी के लिये हमारे मित्र पं. दशरथ शर्मा M. A. महोदय के लिखे हुए ग्रन्थसार को यहां दे देते हैं ।
SR No.521556
Book TitleJain Satyaprakash 1940 04 SrNo 57
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1940
Total Pages44
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size21 MB
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