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૧૯૯૩
મહાવીર-ચરિત્ર-સીમાંસા
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(१) मेघकुमार की दीक्षा राजगृह के प्रथम समवसरण में हुई थी और १२ वर्ष के बाद उन्होंने राजगृह के विपुलपर्वत पर अनशन किया उस समय भी भगवान् राजगृह में थे ।
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(२) अभयकुमार जब गृहस्थाश्रम में था बीतभय के राजा उदायन की दीक्षा हो चुकी थी ।
(३) उदायन की दीक्षा के लिए भगवान ने चम्पा से वीतभय की तरफ विहार किया था ।
(४) जालि आदि तथा दीर्घसेन आदि की दीक्षायें श्रेणिक के जीवित -काल में हुई थीं और उनमें से अधिकांश के अनशन काल में भगवान् राजगृह में थे ।
(५) आर्द्रकुमार और गोशालक का संवाद श्रेणिक के राज्यकाल की घटना है । (६) प्रसन्नचन्द्र को केवलज्ञान श्रेणिक की विद्यमानता में हुआ था ।
पास गृहस्थ-धर्म का
(७) महाशतक ने श्रेणिक के राज्यकाल में महावीर के
स्वीकार किया था ।
(८) धन्य-शालिभद्र का अनशन श्रेणिक के राज्यकाल में हुआ था और उस समय भगवान् राजगृह में थे
(९) धन्यकाकन्दी का अनशन भी श्रेणिक के राज्यकाल में हुआ था और उस वक्त भी भगवान् महावीर राजगृह में थे 1
(१०) मंकाती आदि गृहस्थों की दीक्षायें श्रमिक के जावितकाल में हुई थीं । (११) चम्पा में महचंद आदि की दीक्षायें हुईं तबतक कोणिक का वहां राज्य नहीं हुआ था ।
(१२) जिस समय वैशाली में कोणिक का युद्ध प्रारम्भ हुआ उस समय भगवान् महावीर चम्पा में थे ।
युद्धस्थल
(१३) वैशाली के युद्धकाल में राजगृह में हलचल थी और वैशाली - वाणिज्यग्राम बने हुए थे अतः उन वर्षों में वर्षावास भगवान ने मिथिला में किये होंगे । (१४) राजगृह से विहार करके भगवान् श्रावस्ती के निकटवर्ती कचंगला में गये थे और स्कन्धक कात्यायन को प्रव्रज्या दी थी ।
(१५) १२ वर्ष के श्रमणपर्याय में स्कन्धक ने विदुल-पर्वत पर अनशन किया उस समय भगवान् राजगृह में थे ।
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