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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ૧૯૯૩ इसी वर्ष राजगृह के भगवान् उनके पास थे यह भी निश्रित है । www.kobatirth.org મહાવીર-ચરિત્ર-મીમાંસા १५७ गुणशील चैत्य में अनशन पूर्वक निर्वाण प्राप्त हुए थे और । इस दशा में उस वर्ष का वर्षावास भी वहीं किया होगा Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२६) अचल भ्राता और मेतार्य इन दो गणधरों का २६ वर्ष के पर्याय में गुणशील चैत्य में निर्वाण हुआ था अतः इस साल भी भगवान् इसी प्रदेश में विचरे थे, तो वर्षावास भी मगध के केन्द्र में ही किया होगा । (२७-२८) वैशाली-वाणिज्यगांव में वर्षावास पूर्ण संख्या में हो चुके थे और २९ तथा ३० वें वर्ष उनकी स्थिरता राजगृह में होगी यह भी निश्चित है, क्योंकि इन्हीं दो वर्षो में भगवान के ६ गणधर राजगृह के गुणशील वन में मोक्ष प्राप्त हुए थे और उस समय भगवान का वहां होना अवश्यंभावी है । अतः उक्त दो वर्षावास भगवान ने मिथिला में ही किये होंगे यह स्वतः सिद्ध है । (२९) यह वर्षावास राजगृह में हुआ था यह बात उपर के विवेचन में कही चुकी है। (३०) इस वर्ष में भगवान् मगध में ही विचरे और वर्षावास पावामध्यमा में किया ऐसा कल्पसूत्र से सिद्ध है । ९ आधारस्तंभ ऊपर हमने भगवान् महावार के केवलिविहार का यथासंभव कारण भी सूचित किये हैं कि अमुक वर्ष में यह किन आधारों पर कहा गया है। यहां हम उन्हीं बातों मान्यता के आधार स्तंभ और कतिपय पाठकगण को हमारा अभिप्राय समझना हो तो पकडी भी जा सके । विवरण दिया है और उसके भगवान् अमुक स्थान में थे के समर्थन के लिये हमारी हेतुओं का स्वतंत्र उल्लेख करेंगे जिस से कि सुगम हो जाय और हमारी कहीं भूल होती (१) यों तो भगवान् महावीर ने हजारों स्थानों में विहार किया होगा, परन्तु सूत्रों में उन के भ्रमण - स्थानों के जो नाम उपलब्ध होते हैं उन की संस्था भी १०० सौ के ऊपर है । इन में से बराबर आधे स्थान भगवान् के केवलिबिहार के हैं । ये स्थान समूचे उत्तर भारत में पूर्व से पश्चिम तक फैले हुए थे । इन स्थानों में पहुंचने के लिये भगवान ने पर्याप्त भ्रमण किया होगा यह निश्चित है । 1 For Private And Personal Use Only
SR No.521516
Book TitleJain Satyaprakash 1936 11 12 SrNo 16 17
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1936
Total Pages231
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size102 MB
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