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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ૧૪૧ www.kobatirth.org શ્રી જૈન સત્ય પ્રકાશ કાર્તિક दीक्षायें, सुलसा, श्रेणिक, अभयकुमार आदि का मेघकुमार, नन्दीपेण आदि की गृहस्थ-धर्म-स्वीकार, वर्षावास राजगृह में Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १४ चौदहवां वर्ष (वि० पृ० ४९९ - ४९८ ) (२) वर्षाकाल के बाद विदेह की तरफ विहार, ब्राह्मणकुण्ड में ऋषभदत्त आदि की दीक्षायें । वर्षावास वैशाली में । १५ पंद्रहवां वर्ष (वि० पृ० ४९८-४९७ ) (३) चातुर्मास्य के उतरने पर वत्सभूमि की तरफ बिहार | कौशाम्बी के उद्यान में जयन्ती की धर्मचर्चा और दीक्षा | वहां से कोशल की तरफ प्रयाण | श्रावस्ती में सुमनोभद, सुप्रतिष्ठ आदि की दाक्षायें । विदेह को विहार । वाणिज्यग्राम में गाथापति आनन्द और शिवानन्दा का निर्मन्थप्रवचन स्वीकार और श्राद्धधर्म के द्वादश व्रतों का लेना । वर्षावास वाणिज्यग्राम में । 1 १६ सालहवां वर्ष (वि० पृ० ४९७ - ४९६ ) (४) वाणिज्यग्राम से मगध की तरफ बिहार । राजगृह में समवसरण | कालविषयक प्ररूपणा | धन्य, शालिभद्र आदि की दीक्षायें । वर्षावास राजगृह में I १७ सत्रहवां वर्ष (वि० पू० ४९६-४९५ ) (५) वर्षाऋतु के बाद चम्पा की तरफ विहार | चम्पा में महचन्द्र आदि की दीक्षायें । कामदेव आदि का गृहस्थ धर्म स्वीकार । उदायन के मानसिक अभिप्राय को जान कर वीतभय की तरफ बिहार | उदायन की दीक्षा । पीछा विदेह की तरफ विहार । बीच में भूख प्यास से श्रमणों को कष्ट । वर्षावास वाणिज्यग्राम में । १८ अठारहवां वर्ष ( वि० पृ० ४९५ - ४९४ ) (६) बनारस, आलभिकादि नगरों में होते हुए राजगृह की तरफ प्रयाण । बनारस में चुलनीपिता और सुरादेव का निर्ग्रन्थप्रवचन - स्वीकार, आलभिया में पोग्गलपरिव्राजक–प्रतिबोध, चुल्लशतक का श्रमणोपासक होना, राजगृह में समवसरण, मंकाती आदि अनेक गृहस्थों की दीक्षायें । वर्षावास राजगृह में I १९ उन्नीसवां वर्ष (वि० पू० ४९४ - ४९३ ) (७) मगधभूमि में ही विहार, आर्द्रकमुनि के सामने गोशालक के महावीर पर आक्षेप, राजगृह में अभयकुमार, जालि, दीर्घसेनादि २१ राजकुमारों और नन्दादि १३ श्रेणिक की रानियों की दीक्षायें । वर्षावास राजगृह में । For Private And Personal Use Only
SR No.521516
Book TitleJain Satyaprakash 1936 11 12 SrNo 16 17
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaindharm Satyaprakash Samiti - Ahmedabad
PublisherJaindharm Satyaprakash Samiti Ahmedabad
Publication Year1936
Total Pages231
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Jain Satyaprakash, & India
File Size102 MB
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