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મહાવીર-ચરિત્ર-મીમાંસા हमारा उपर्युक्त विवरण, भगवान् महावीर की जीवनचर्या के विषय में लिखे गये प्राचीन 'महावीरचरित्र' कितने अपूर्ण और अव्यस्थित हैं इस बात का परिचायक है।
जहां पर भगवान ने अपने केवलिजीवन के १२ चातुर्मास्य व्यतीत किये थे उस राजगृह की तरफ जाने सम्बन्धी 'क' चरित्र में एक ही बार प्रसंग आता है, तब 'ख' चरित्र में सिर्फ तीन बार । वैशाली-वाणिज्य ग्राम में भगवान ने केवलिअवस्था के ११ वर्षा चातुर्मास्य बिताये थे परन्तु तीस वर्ष के विहारक्रम में किसी चरित्रकार ने भगवान के वैशाली जाने का उल्लेख ही नहीं किया । मिथिला में महावीर ने ६ वर्षाकाल बिताये थे परन्तु 'ख' के एक उल्लेग्व के सिवाय किसी चरित्र ने मिथिला का नाम निर्देश तक नहीं किया।
पूर्वकालीन 'महावीरचरित्रों' की उक्त दशा का अनुभव होने के बाद हमें इस निश्चय पर आना पडा कि ---'यदि सूत्र, नियुक्ति, भाष्य, चूर्णि आदि प्राचीन मौलिक माहित्य के आधार से भगवान के जीवनचरित्र की रूपरेखा खींची जा सके तो ग्वींचना वर्ना इस प्रवृत्ति से ही हाथ उठा लेना, लेकिन इन चरित्रों का भाषान्तरमात्र करके 'महावीरचरित्र' की स्थानपूर्ति करना निरर्थक है । और आजतक हमने इसो निश्चय के अनुसार प्रवृत्ति की है। प्राचीन मूत्रादि साहित्य के परिशीलन में महावीर का जीवनस्पर्श करनेवाली जो जो बातें हमें हस्तगत हुई उन्हें लेग्वबद्ध कर लिया और व्यवस्थित कर के योग्य स्थान में जोड़ दिया है । इस कार्य में हमें पर्याप्त सफलता भी मिली है। तथापि इसको अन्तिम रूप देने के पहले हम इसके एक विभाग की रूपरेखा जैनविद्वानों के सामने उपस्थित कर के उसे अधिक परिमार्जित कर लेना अपना कर्तव्य समझते हैं। .: 'श्रमण भगवान महावीर' का केवलि-विहार
__पूर्व चरितकारों के लेखानुसार केवलज्ञान पाने के बाद भगवान कहां कहां विचरे और उन्होंने क्या क्या कार्य किये उनका संक्षिप्त विवरण दे दिया । अब हम अपने ' श्रमण भगवान् महावीर' नामक ग्रन्थ के अनुसार भगवान् महावीर के केवलि विहार के संबन्ध में कुछ लिखेंगे।
तीस वर्ष जितने दीर्घ जीवन-काल में भगवान ने क्या क्या कार्य किये, कहां कहां वर्षा चातुर्मास्य किये और इस समय के दर्मियान क्या क्या विशिष्ट घटनायें घटी; इत्यादि सब बातों को आनुमानिक मूची नीचे मुजब है......
१३ तेरहवां वर्ष (वि० पू० ५००-४९९) (१) ऋजुवालका के तटपर केवलज्ञान, रातभर में महासेन उद्यान जाना, महासेन के द्वितीय समवसरण में संघ-स्थापना, वहां से विहारक्रम से राजगृह समवसरण,
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