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भगवान् महावीर की जन्मस्थली : कुण्डपुर (वासोकुण्ड)
-डॉ. राजेन्द्र कुमार बंसल " 1. राष्ट्रसंत आचार्य विद्यानन्द जी मुनिराज एवं अन्य अनेक दिगम्बर/श्वेताम्बर आचार्यों/मुनिराजों के साथ ही आचार्यश्री विद्यासागर जी मुनिराज के प्रमुख शिष्य मुनि श्री प्रमाणसागर जी ने अपनी कृति 'जैनधर्म और दर्शन' में तीर्थंकर महावीर की जन्मस्थली 'कुंडपुर' निरूपित किया है। उनके अनुसार 'कुंडपुर' प्राचीन भारत में व्रात्य क्षत्रियों के प्रसिद्ध वज्जिसंघ' के 'वैशाली गणतंत्र' के अंर्तगत था।....... उनके पिता सिद्धार्थ वहाँ के प्रधान थे। वे ज्ञातवंशी कश्यपगोत्रीय क्षत्रिय थे तथा माता त्रिशला उक्त संघ के अध्यक्ष लिच्छिवि-नरेश चेटक की पुत्री थी... नाथवंशी होने के कारण महावीर को बौद्धग्रंथों में नातपुत्त (नाथपुत्र) भी कहा गया है (प्रकाशन 1998, पृष्ठ 44-45)। - आर्यिका चंदनामती जी प्रज्ञाश्रमणी ने भी अपने आलेख 'भगवान् महावीर के दश पूर्व भव' में महावीर का जन्मस्थल 'विदेह' देश के 'कुण्डपुर' नगर को मान्य किया है। आलेख में षण्ड' नामक वन 'ज्ञातृवन' में दीक्षा और प्रथम आहार मूलग्राम में राजाकूल के यहाँ होने का उल्लेख है (महावीर स्मारिका 2001-02, राजेन्द्र चन्द्र कैलाशचन्द्र जैन चेरिटेबल ट्रस्ट, 30 चावड़ी बाजार, दिल्ली 6, पृष्ठ 24)। आचार्य गुणभद्रकृत उत्तर पुराण' में महावीर का जन्मस्थल 'विदेह' देश का 'कुण्डपुर' (श्लोक 251-252) एंव प्रथम आहार-स्थल मूलग्रामपुर के राजा कूल का महल (श्लोक 318-322) निरूपित किया है। आचार्य वीरसेन ने 'धवला' टीका पुस्तक 9, पृष्ठ 121 एवं गाथा 28 पृष्ठ 122 में मूलत: 'कुंडपुर' लिखा है (धवला- सोलापुर, सन् 1990 संस्करण)। इसप्रकार विद्वान् मनीषियों/शोधार्थियों एवं जैनाचार्यों ने भगवान् महावीर का जन्मस्थल कुण्डलपुर या वैशाली न मानकर कुण्डपुर को स्वीकार किया है, जो वर्तमान में बासोकुण्ड' के नाम से प्रसिद्ध है। . भगवान् महावीर के 2500वें निर्वाण-महोत्सव-काल में दिल्ली में विराजित जैनाचार्य शिरोमणी आचार्यश्री देशभूषण जी मुनिराज के तत्त्वावधान/मार्गदर्शन में सन् 1974 में 'भगवान् महावीर और उनका तत्त्वदर्शन' नामक वृहत्काय ग्रंथ प्रकाशित हुआ। इसकी 050
प्राकृतविद्या-जनवरी-जून '2003 (संयुक्तांक)