________________
विभाग के अध्यक्ष हैं। प्राकृतभाषा एवं व्याकरण के विश्रुत विद्वान् एवं सिद्धहस्त प्राकृत कवि हैं। इस अंक में प्रकाशित 'पज्जावरण-रक्खणा (पर्यावरण रक्षण)' शीर्षक की प्राकृत कविता आपकी लेखनी से प्रसूत हैं। ___ स्थायी पता—पिऊकुंज, अरविन्द नगर, ग्लास फैक्ट्री चौराहा, उदयपुर-313001 (राज.)
8. डॉ. पद्मजा आ. पाटील- आप शिवाजी विद्यापीठ कोल्हापुर में इतिहास विभाग में प्राध्यापिका हैं। इस अंक में प्रकाशित आलेख 'आण्णासाहब लठे जी का जैन स्त्री-विषयक चिंतन और कार्य' आपके द्वारा लिखित है।
पत्राचार पता— इतिहास विभाग, शिवाजी विद्यापीठ, कोल्हापुर (महाराष्ट्र)
9. डॉ. सुदीप जैन–श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्ली में 'प्राकृतभाषा विभाग' में वरिष्ठ उपाचार्य हैं। अनेकों पुस्तकों के लेखक, सम्पादक। प्रस्तुत पत्रिका के 'मानद सम्पादक' । इस वर्ष आपको प्राकृतभाषा-विषयक राष्ट्रपति-सम्मान' (युवा) से सम्मानित घोषित किया गया है। इस अंक में प्रकाशित सम्पादकीय-आलेख एवं पुस्तक-समीक्षाएँ आपके द्वारा लिखित हैं तथा जैनधर्म और भगवान् महावीर के बारे में महापुरुषों के उद्गार' शीर्षक संकलन आपके द्वारा चयनित है। .
स्थायी पता—बी-32, छत्तरपुर एक्सटेंशन, नंदा फार्म के पीछे, नई दिल्ली-110030
10. इंजी. अरुण कुमार जैन- आप भारतीय रेल में वरिष्ठ इंजीनियर हैं, तथा कई वर्षों से अनवरत साहित्य-साधना कर रहे हैं। इस अंक में प्रकाशित हे पूज्य गुरु शत-शत प्रणाम' नामक हिन्दी कविता आपके द्वारा लिखित है। . पत्राचार पता— सी-12/एफ. चन्द्रशेखरपुर रेलवे कालोनी, भुवनेश्वर-751023 (उड़ीसा)
11. डॉ. वीरसागर जैन—आप हिन्दी भाषा-साहित्य एवं जैनदर्शन के विख्यात् विद्वान् हैं। सम्प्रति आप श्री ला.ब.शा.रा. संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्ली में जैनदर्शन विभाग' के अध्यक्ष हैं। इस अंक में प्रकाशित 'प्राकृतभाषा में लोरी हिन्दी से प्राकृत-रूपान्तरण' आपके द्वारा रचित है।
पत्राचार पता- श्री कुन्दकुन्द भारती, नई दिल्ली-110067
12. श्रीमती रंजना जैन—आप श्री लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ की प्राकृतभाषा विभाग की वरिष्ठ शोध-छात्रा हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की जे.आर.एफ. नामक फैलोशिप भी आपको प्राप्त है। इस अंक में प्रकाशित 'आदर्श' और 'आत्मा' शीर्षक आलेख आपके द्वारा लिखित है। ' स्थायी पता—बी-32, छत्तरपुर एक्सटेंशन, नंदा फार्म के पीछे, नई दिल्ली-110030
13. प्रभात कुमार दास—आप प्राकृतभाषा एवं साहित्य के शोधछात्र हैं। इस अंक में प्रकाशित आलेख 'विण्णाणं किं? भूयं पजोगं' कविता आपके द्वारा लिखित है।
पत्राचार पता—शोधछात्र प्राकृतभाषा विभाग, श्री ला.ब.शा.रा.सं. विद्यापीठ, नई दिल्ली-16
14. अप्पण्ण नरसप्पा हंजे एवं टी.आर्. जोडट्टी- आप प्राकृतभाषा के शोधछात्र हैं। इस अंक में प्रकाशित आलेख 'बंकापुर के जिनालय' आपके द्वारा लिखित है।
पत्राचार पता- प्राच्य भारतीय इतिहास एवं अभिलेख विज्ञान विभाग, कर्नाटक विश्वविद्यालय, धारवाड़-580003 (कर्नाटक)
00 112
प्राकृतविद्या-जनवरी-जून '2003 (संयुक्तांक)