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केवलज्ञान-प्राप्ति के पश्चात् तीर्थंकर वर्धमान महावीर भगवान् का
मंगल-विहार एवं उनके समवशरण का शुभ-आगमन 1. ईसापूर्व 557 राजगृह (विपुलाचल पर्वत)
ईसापूर्व 556 वैशाली ईसापूर्व 555 वाणिज्यग्राम ईसापूर्व 554 राजगृह ईसापूर्व 553 वाणिज्यग्राम ईसापूर्व 552 राजगृह ईसापूर्व 551. राजगृह ईसापूर्व 550 वैशाली ईसापूर्व 549 वैशाली ईसापूर्व 548 राजगृह ईसापूर्व 547 वाणिज्यग्राम ईसापूर्व 546 राजगृह ईसापूर्व 545 राजगृह ईसापूर्व 544 मिथिला ईसापूर्व 543 श्रावस्ती ईसापूर्व 542 वाणिज्यग्राम ईसापूर्व 541 राजगृह ईसापूर्व 540 वाणिज्यग्राम ईसापूर्व 539 वैशाली ईसापूर्व 538 वैशाली ईसापूर्व 537 राजगृह ईसापूर्व 536 नालन्दा ईसापूर्व 535 वैशाली ईसापूर्व 534 वैशाली ईसापूर्व 533 राजगृह ईसापूर्व 532 नालन्दा ईसापूर्व 531 मिथिला ईसापूर्व 530 मिथिला ईसापूर्व 529 राजगृह
ईसापूर्व 528 पावापुरी ("पावायां मध्यमायां हस्तिवालिकामण्डपे नमस्यामीति") 1. इनके अतिरिक्त उज्जयिनी, भिकागांव (बिहार), कलिंग तथा भारत के प्रत्येक प्रांतों में धर्म-देशना
देते हुये मंगल-विहार करते रहे हैं।
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प्राकृतविद्या अक्तूबर-दिसम्बर '2001