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आत्मस्वरूप में स्थिरता की सूचिका है। इनसे अलंकृत होकर जैनों की पंचवर्णी ध्वजा 'महाध्वजा' कहलाती है।
इसके अलावा अन्य कई चिह्नों से सुशोभित ध्वजायें भी 'इन्द्रध्वजपूजा' आदि में फहरायी जाती हैं, जिनका वर्णन निम्नानुसार है
"माला-मगेन्द्र-कमलाम्बर-वैनतेय-मातंग-गोपति-रथांग-मयूर-हंसाः। यस्य ध्वजा विजयिनो भुवनेऽवभान्ति, तस्मै नमस्त्रिभुवन-प्रभवे जिनाय ।।"
--(दशभक्त्यादि संग्रह, पृष्ठ 225) इसे प्राकृतभाषा के ग्रंथ 'छक्खंडागमसुत्त' में निम्नानुसार बताया गया है-. "मल्लंबरद्धवरहिण-गरुड-गय-केसरि-वसह-हंस-चक्कद्धय-णिवएहि परिवेढिराये।"
-(पुस्तक 9. पृष्ठ ।।) अर्थात् मेरुमन्दिर की ध्वजा पर 'दो मालाओं' का चिह्न, गजदन्त शिखर की ध्वजा पर 'कमल' का चिह्न, वृक्ष-मंदिर की ध्वजा पर तोते' का चिह्न, वक्षार-मंदिर की ध्वजा पर 'गरुड़' का चिह्न, इष्वाकार गिरि-शिखर पर हाथी' का चिह्न, विजयार्थ-शिखर की ध्वजा पर 'वृषभ' (नंदी) का चिह्न, नन्दीश्वर-मंदिर के शिखर पर 'चकवा-चकवी' का चिह्न, कुण्डलगिरिवर के शिखर की ध्वजा पर 'मयूर' (मोर) का चिह्न एवं रुचकगिरि की ध्वजा पर 'हंस' का चिह्न होता है। ___इनमें माला 'विजय' की, कमल निर्लिप्तता' का, तोता ज्यों का त्यों जिनवचन-बोलने' का, गरुड़ उच्चगामिता' का, हाथी 'गंभीर व्यक्तित्व' का, वृषभ 'पुरुषार्थ' और भद्रपरिणाम का, चकवा-चकवी 'अनन्य धर्मस्नेह' के, तथा हंस 'नीर-क्षीर विवेक' के रूप में स्वपरभेदविज्ञान का प्रतीक है। उपरोक्त सभी ध्वजायें दिव्यरत्नों से निर्मित मानी गयी हैं, तथा ये सदैव फहराती रहती हैं।
इनके अतिरिक्त समवसरण की पाँचवीं भूमि में एवं अकृत्रिम चैत्यालय की दूसरी भूमि में चारों दिशाओं में महाध्वजा के साथ निम्नलिखित-चिह्नों से युक्त लघुध्वजायें भी फहराती रहतीं हैं-- "सिंह-गय-वसह-गरुड-सिहिंदिणहंसारविंद-चक्क धया। पुह अट्ठसया चउदिसिमेकॅक्के अट्ठसय खुल्ला।।"
-(त्रिलोकसार, आ० नेमिचंद्र सि०च०, गाथा 1010) अर्थ :- चैत्यभूमि में चारों दिशाओं में सिंह, हाथी, वृषभ, गरुड, मयूर, चन्द्र, सूर्य, हंस, कमल और चक्र के चिह्नों से अलंकृत 108-108 ध्वजायें होती हैं। समवसरण की द्वितीय पीठ पर आठ महाध्वजायें मानी गयी हैं।
-(तिलोयपण्णत्ति, प्रथम भाग, पृष्ठ 26) इतना ही नहीं, अष्ट-मंगलद्रव्यों में एक मंगलद्रव्य 'ध्वजा' भी मानी गयी है। ध्वजाओं पर चिह्नों का भी बड़ा विशेष महत्त्व माना गया है। ये कई महत्त्वपूर्ण बातों
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प्राकृतविद्या+अक्तूबर-दिसम्बर '2001