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गया है कि भारी वर्षा, आंधी, तूफान या भीषण सूखे या उमस के मौसम में जानवरों के काफिलों को पैदल ले जाने की अनुमति नहीं होगी। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा जारी इस अधिसूचना के अनुसार जानवरों का काफिला हांकते समय उन्हें तीन घंटे पर पानी पिलाने के बाद 20 मिनट का और चारा खिलाने के बाद एक घंटे का विश्राम दिया जायेगा।
ऐसी शिकायतें अक्सर सुनने में आती रहती हैं कि जानवरों विशेषत: गाय-भैंसों के काफिलों को बिना चारा-पानी के निरंतर मीलों-मील चलाया जाता है और रास्ते में भूखा-प्यासा, थका-हारा कोई पशु यदि निढाल होकर गिर जाये, तो उसे जबरन चलने को मजबूर करने के लिए उसकी आंखों या गुप्तांगों में मिर्च डाल दी जाती है या पूंछ ही तोड़ दी जाती है। अष्टि सूचना में चेतावनी दी गई है कि कोई भी व्यक्ति पशुओं को चलने या उसकी चाल में तेजी लाने के लिए मजबूर करने के उद्देश्य से किसी चाबुक या लाठी का प्रयोग नहीं करेगा और न ही पशु के शरीर के किसी भाग में मिर्च या अन्य पदार्थ का इस्तेमाल करेगा। ___ पैदल हाँके जाने वाले प्रत्येक पशु की बाबत पशु-चिकित्सक से यह प्रमाणपत्र लेना होगा कि वह पैदल हाँके जाने की हालत में है और उसे कोई संक्रामक या परजीवी- रोग नहीं है। जिन पशुओं ने पिछले 72 घंटों के दौरान जन्म दिया है या अगले कुछ दिनों में जन्म देने की संभावना है, उन्हें तथा ऐसे नवजात- पशुओं जिनकी नाभि पूरी तरह सूखी नहीं है, अस्वस्थ, अंधे-लंगड़े या थके-हारे हैं, को पैदल काफिले में शामि नहीं किया जा सकेगा।
लंबी दूरी तक हाँके जाने वाले काफिलों के पशुओं में आपसी मेल-मिलाप की भी व्यवस्था की गई है, जिससे वे एक-दूसरे से भटकें नहीं। इसमें कहा गया है कि पैदल काफिला शुरू होने से कम से कम एक सप्ताह पहले उसमें शामिल होने वाले पशुओं को 'आन फार्म सामाजिक समूह' में एक साथ रखा जाये। ये नियम पशुओं को पैदल हांकने की उस स्थिति में लागू होंगे, जब ऐसे काफिले के आरंभ के गाँव, शहर या नगर की सीमा के अंतिम-लक्ष्य की दूरी पाँच किलोमीटर या उससे अधिक हो।
ऐसे काफिले के दौरान पशुओं के स्वामी या उन्हें हांकनेवाले व्यक्ति के पास पशुओं के लिए पर्याप्त प्राथमिक-चिकित्सा-सामग्री और पानी तथा चारे की उपलब्धता भी अनिवार्य कर दी गई है। यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि पशुओं को हांकने के दौरान यदि किसी पशु को बांधने की आवश्यकता हुई, तो उसके सिर्फ गले में ही रस्सी बांधी जा सकेगी, पैर या नाक में नहीं और यह रस्सी भी चारों तरफ से गद्दीदार वस्तु से लिपटी होनी चाहिए। यह भी कि एक रस्सी में दो से ज्यादा पशु नहीं बांधे जायेंगे और दोनों के बीच की दूरी कम से कम दो फुट हो और एक रस्सी में बंधे दोनों जानवरों का शारीरिक-सामर्थ्य भी एक जैसा हो। इन नियमों का उल्लंघन करते पाये जाने पर सिपाही के ऊपर के पद के किसी भी पुलिस अधिकारी को पशुओं के स्वामी को निकटतम मैजिस्ट्रेट के पास ले जाने का अधिकार होगा, जहाँ उसे सजा दिलवाई जा सके। -(साभार उद्धृत – पंजाब केसरी, 29 जून, 2001, पृ०सं० 12) **
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प्राकृतविद्या जुलाई-सितम्बर '2001