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________________ गधों से गधे की तरह काम लेने पर रोक : 8 घंटे की ड्यूटी तय खबरदार ! अब गधों से 'गधे' जैसा काम नहीं लिया जा सकेगा। ये कोई बंदर-भभकी नहीं, बल्कि एक कानूनन-हकीकत है। अब से अगर किसी आदमी ने गधे से आठ घंटे से ज्यादा काम लिया, तो उसकी खैर नहीं। उसे तीन साल तक की कैद हो सकती है। ___पशुओं के बारे में 'क्रूरता-निरोधक-कानून' में हाल में किए गए संशोधन के अनुसार अब गधे की सेवा शर्तों को इंसानों की सेवा-शर्तों के मुताबिक ढालते हुए सुनिश्चित कर दिया गया है कि कोई गधे से आठ घंटे से ज्यादा काम नहीं लेगा और यही नहीं, उसे हर तीन घंटे पर पानी पीने और छह घंटे बाद खाना खाने की भी छुट्टी दी जायेगी, साथ ही यह भी तय किया गया है कि गधों से सूर्यास्त से सूर्योदय के बीच कोई काम नहीं कराया जायेगा। ___1965 में बने ‘पशु-क्रूरता-निरोधक-कानून' में हाल में किए गए एक संशोधन के बारे में जारी अधिसूचना में गधे की सेवा-शर्ते इंसानों की सेवा-शर्तों के करीब लाने की कोशिश की गई है और यह सेवा-शर्ते गधों पर लागू नही होंगी; बल्कि उसकी नस्ल के करीबी जानवरों जैसे घोड़े, टट्ट और खच्चरों पर भी लागू होगी। इन सेवा-शर्तों में गधों की काम की सीमा भी तय की गई है। ऐसा नहीं है कि इन आठ घंटों में आप उनसे अनाप-शनाप गधों की तरह ही काम कराते रहेंगे। इन आठ घंटों के दौरान आप उन्हें प्रतिघंटा छह किलोमीटर और पूरे कार्यदिवस में हद से हद 45 किलोमीटर तक ही पैदल चलवा सकेंगे। गधे, घोड़े, टट्टू और खच्चर ही नहीं गाय, भैंस, भेड़, बकरियों और सूअरों को भी इस नए कानून के तहत काफी छूट दी गई है। ___ हाल ही में भारत के राजपत्र में जारी इस अधिसूचना के अनुसार गाय और भैंसों को भी अब एक जगह से दूसरी जगह पैदल ले जाते समय प्रतिदिन आठ घंटे से ज्यादा नहीं हांका जा सकेगा। गायों को प्रति घंटा चार किलोमीटर की रफ्तार से और आठ घंटों में हद से हद 30 कि०मी० लंबा हांका जा सकेगा। इस दोरान उसे प्रत्येक दो घंटे बाद पीने के लिए पानी और चार घंटे बाद भोजन के लिए विश्राम देना अनिवार्य होगा। भैंस को गाय से भी ज्यादा आराम दिया गया है। उन्हें प्रति घंटा तीन किलोमीटर और आठ घंटे में ज्यादा से जयादा 25 कि०मी० ही हांकने की अनुमति होगी। इसके अलावा गाय और भैंस के बछड़ों को दिनभर में छह घंटे से ज्यादा नहीं हांका जा सकेगा, और उन्हें प्रति घंटा ढाई कि०मी० तथा छह घंटे में अधिकतम 16 कि०मी० पैदल चलाने की अनुमति होगी। अधिसूचना में यह भी स्पष्ट कर दिया प्राकृतविद्या- जुलाई-सितम्बर '2001 083
SR No.521366
Book TitlePrakrit Vidya 2001 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2001
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Prakrit Vidya, & India
File Size10 MB
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