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________________ शब्द-स्वरूप एवं ध्वनि - विज्ञान - डॉ० माया जैन जिसके द्वारा अर्थ का प्रतिपादन होता है, वह शब्द है । जो 'प्राकृतिक' और 'प्रयोगज' दोनों दृष्टियों से उत्पन्न होता है । 'प्राकृतिक' में बादलों की गर्जना को लिया जाता है । और ‘प्रयोगज’ में वाद्य-विशेष-निःसृत ध्वनि को महत्त्व दिया जाता है । तत्, वितत्, घन, शुषिर, संघर्ष और भाषा ये छह 'प्रयोगज' के भेद हैं। भावों एवं इच्छाओं का प्रमुख कार्य भाषा है । जो विचार-विनिमय से वाक्य के स्वरूप को प्राप्त होती है। वाक्य ही भाषा का सबसे स्वाभाविक और महत्त्वपूर्ण अंग है । वाक्यों के आधार पर ही भाषा की रचना करते हैं और वाक्यों के कारण एवं उनके निर्माण में शब्द अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कालान्तर में वे ही शब्द ध्वनि की दिशा प्रगट करते हैं । जैसे ही ध्वनि के विषय में विचार किया जाता है, वैसे ही यह प्रगट होता है कि जो वाक्य शब्दों के संयोग से बने हैं, वे ही शब्द ध्वनियों पर आधारित हैं । जो भाषा की प्रमुख इकाई मानी जाती है। ध्वनिविज्ञान :- - भाषा का संपूर्ण - प्र - प्रासाद ध्वनि या शब्द पर आधारित है । प्रत्येक चैतन्य - प्राणी किसी न किसी रूप में वाक्य प्रयोग करता है । वे वाक्य ध्वनि या शब्द को प्रगट करते हैं । ध्वनियों की प्रत्येक क्रिया विचार-विनिमय, भाव एवं इच्छा अलग-अलग शब्दों का निर्माण करती है। ध्वनियों में ध्वनियंत्र का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। जो निःसृतध्वनि या शब्द वायु की सहायता से प्रगट हुई है । वही अलग-अलग स्थान के कारण ध्वनिपरिवर्तन का कारण बनती है । ध्वनि वर्गीकरण, ध्वनि-क्रिया, ध्वनि-यंत्र आदि का विचार ध्वनि-विज्ञान है। जिसका भाषा शास्त्री दृष्टि से विशेष महत्त्व है 1 : शब्द और ध्वनि जैन-आगमों में शब्द को पुद्गल का विषय माना गया है। परन्तु इसे परिभाषित करते हुये कथन किया गया— “शब्दो वर्ण-पद-वाक्यत्मिका ध्वनिः " – ( लघीयस्त्रय, वृ० पृ० 66 ) अर्थात् वर्ण, पद एवं वाक्यात्मक - ध्वनि का नाम शब्द है । जो अर्थ को व्यक्त करता है। जिसके द्वारा अर्थ का ज्ञान कराया जाता है या वस्तु की प्रतीति कराई जाती है। ऐसे उच्चारणमात्र को 'शब्द' कहा जाता है । 'तत्त्वार्थवार्त्तिक' में शब्द का व्युत्पत्ति इस प्रकार की गई है प्राकृतविद्या + जुलाई-सितम्बर 2001 00 75
SR No.521366
Book TitlePrakrit Vidya 2001 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2001
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Prakrit Vidya, & India
File Size10 MB
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