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विश्वविद्यालय, धारवाड़) को भव्य समारोहपूर्वक सबहुमान समर्पित किया गया। दिनांक 9 सितम्बर, 2001 को सम्पन्न इस कार्यक्रम को मुख्य अतिथि पूर्व लोकसभाध्यक्ष मा० शिवराज पाटिल थे। इस पुरस्कार के अन्तर्गत एक लाख रुपयों की मानधनराशि के साथ-साथ रजतोत्कीर्ण प्रशस्ति-पत्र, स्मृतिचिह्न, शॉल, श्रीफल आदि समर्पित किये गये। विश्वभर में मृत्यु के प्रकारों, विधियों आदि पर गहन अनुसन्धानपूर्वक अपनी शोधकृति लिखने वाले प्रो० शेट्टर ने इसमें जैनपरम्परा की समाधिमरणपूर्वक देहत्याग-विधि को सर्वोत्तम आदर्श मरणविधि प्ररूपित किया है। अत: उन्हें 'समाधिज्ञान-विशारद' के मानद विरुद से भी अलंकृत किया गया।
इस सुअवसर पर पूज्य आचार्यश्री के मंगल-प्रवचनों की मराठी में अनूदित कृति 'आनंदधारा' का भी लोकार्पण किया गया। समारोह का सफल संयोजन प्रतिष्ठान के अध्यक्ष श्री शरदचन्द्र गाँधी ने किया। समारोह में पूज्य आचार्यश्री के मंगल आशीर्वचन का ऑडियो टेप भी सुनाया गया।
–सम्पादक ** _ 'रत्नाकर बैंक' की 71वीं शाखा का शुभारम्भ दक्षिण भारत के सुविख्यात वाणिज्यिक प्रतिष्ठान 'रत्नाकर बैंक' लिमिटेड की पूर्णतया कंप्यूटराइज्ड 71वीं शाखा राजधानी दिल्ली के व्यस्तम व्यापारिक क्षेत्र करोलबाग में दिनांक 10 सितम्बर 2001 को समारोहपूर्वक शुरू हुई। पूज्य आचार्यश्री विद्यानन्द जी मुनिराज ने इस निमित्त दिनांक 9.9.2001 को लिबर्टी छविगृह में आयोजित भव्य समारोह में प्राचीन भारत में आर्थिक-चिन्तन' के सैद्धान्तिक एवं व्यावहारिक पक्षों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए इस शाखा के लिए अपना मंगल-आशीर्वाद प्रदान किया। ___ शुभारम्भ-समारोह में मुख्य अतिथि साहू रमेश चन्द्र जैन ने दीप प्रज्वलन-पूर्वक समारोह के विषय में सारगर्भित वक्तव्य दिया। समागत अतिथियों का स्वागत करते हुए बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अनिल पाटिल ने बैंक की गतिविधियों एवं उपलब्धियों का विवरण दिया और बताया कि कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र एवं गुजरात में इस बैंक की 70 शाखायें शानदार ढंग से कार्य कर रही हैं तथा इसका कुल टर्न-ओवर एक हजार करोड़ रुपयों से अधिक का है।
इस समारोह में प्रो० वाचस्पति उपाध्याय, कुलपति ला०ब०शा०सं० विद्यापीठ, नई दिल्ली ने विषय-प्रवर्तन किया तथा पं० जयकुमार उपाध्ये ने मंगलाचरण किया। इस अवसर पर श्री चक्रेश जैन बिजलीवाले, श्री बर्डे सा० उपायुक्त पुलिस एवं अन्य कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
–सम्पादक **
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प्राकृतविद्या जुलाई-सितम्बर '2001