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________________ समाचार दशान सुशिक्षित एवं धर्मपरायण महिलाओं से ही देश का उत्थान होगा आचार्यश्री विद्यानंद जी मुनिराज ने परेड ग्राऊण्ड' मैदान के भव्य एवं विशाल 'कुंदकुंद सभामंडप' में दशलक्षण-पर्व के पश्चात् दो सितम्बर को 'सती चन्दना वर्ष' के समापन पर आयोजित 'आदर्श श्राविका सम्मान समारोह' में बोलते हुए कहा कि “भगवान् महावीर ने दासी बनी चन्दना को बंधन-मुक्त कराकर समाज में नारी-जाति को उच्चस्थान दिलाया था। शास्त्रों में इस बात की विस्तार से चर्चा की गई है। नारी का सुशिक्षित एवं धर्मपरायण होना बहुत आवश्यक है, ऐसी नारी परिवार को तो सुचारुरूप से चलाती ही है, वह समाज व देश के उत्थान में भी महत्त्वपूर्ण योगदान देती है।" आचार्यश्री ने चाणक्य-नीति की सराहना करते हुए कहा कि त्याग की भावना से ही देश को समृद्धिशाली बनाया जा सकता है। समारोह की मुख्य अतिथि सुविख्यात समाजसेविका एवं गांधीवादी-विचारिका सुश्री निर्मला देशपांडे ने सर्व श्रीमती कपूरी देवी जैन धर्मपत्नी स्व. डॉ. सुखनन्दन लाल जैन, श्रीमती सुशीला जैन धर्मपत्नी श्री रमेश चन्द्र जैन (पी.एस.जे.), श्रीमती रमल जैन धर्मपत्नी श्री आर.पी.जैन, श्रीमती प्रवीन जैन धर्मपत्नी श्री सतीश जैन (एस.सी.जे.), श्रीमती सुशीला जैन धर्मपत्नी श्री सतीश जैन (आकाशवाणी), श्रीमती रेशम जैन धर्मपत्नी श्री धनपाल जैन कपड़ेवाले, श्रीमती हेमबाला जैन धर्मपत्नी श्री किशोर जैन, श्रीमती कान्ता जैन धर्मपत्नी स्व. श्री हीरालाल जैन कौशल, श्रीमती उर्मिला जैन (अध्यक्षा, दिगम्बर जैनसमाज, ऋषभ विहार), श्रीमती सावित्री जैन धर्मपत्नी श्री ओमप्रकाश जैन (संस्कृति) आदि लगभग पचास आदर्श महिलाओं को शॉल, प्रशस्ति पत्र एवं मैडल प्रदान कर सम्मानित किया। इन महिलाओं ने अपने व्यक्तिगत-जीवन में आदर्श-चारित्रिक गुणों को विकसित कर पारिवारिक, सामाजिक एवं धार्मिक-क्षेत्रों में नैतिक एवं मानवीय-मूल्यों की स्थापना करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। सुश्री निर्मला देशपांडे ने कहा कि स्त्री-शक्ति के सम्मान से जागृति पैदा होती है, समाज कल्याण के मार्ग पर चलता है और इसी से देश का भविष्य उज्जवल होगा। ___आचार्यश्री ने इस समारोह में नई प्रकाशित पुस्तक 'वैशालिक की छाया में' का विमोचन करते हुए कहा कि "भगवान् महावीर का एक नाम 'वैशालिक' भी था।" समारोह प्राचीन प्राकृतविद्या जुलाई-सितम्बर '2001 00 107
SR No.521366
Book TitlePrakrit Vidya 2001 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2001
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Prakrit Vidya, & India
File Size10 MB
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