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________________ संस्करण : प्रथम, 1918 ई०, पहली आवृत्ति : 1996 मूल्य : 30/- रुपये (पपरबैक, लगभग 120 पृष्ठ) जब-जब यात्रावृत्तान्तों की चर्चा चलती है, तो कई शताब्दियों पूर्व के परिवहन एवं संचार के उन्नत एवं पर्याप्त साधनों से विहीन युग में चीनी-यात्रियों द्वारा किया गया भारत-भ्रमण एवं उसका यात्रा-वृत्तांत-लेखन अपने आप में न केवल विश्वविश्रुत रहा, अपितु आदर्श-प्रतिमानों के रूप में भी अग्रगण्य माना जाता है। प्रस्तुत कृति में चीनी यात्री फाहियान का यात्रा-विवरण हिन्दी-भाषा में अनूदित करके प्रभावी रीति से प्रस्तुत किया गया है। विशेषत: इसके सोलहवें पर्व' में मथुरा का जैननगरी के रूप में जैसा अद्वितीय-चित्रण हुआ है, उससे तत्कालीन मथुरा का स्वरूप, गौरव तथा जैनत्व का प्रभाव मार्मिकरूप में हृदयपटल पर अंकित हो जाता है। इसमें वणित कई स्थान, नगर आदि तो आज भौगोलिक-दृष्टि से अनुसंधान बन गये हैं; जिनका प्रामाणिक-विवरण यदि प्रस्तुत किया जाये, तो यह भारतीय भौगोलिक-इतिहास की दृष्टि से अनुपम कार्य होगा। इसीप्रकार भारत की अहिंसक-संस्कृति एवं समाजव्यवस्था के अध्ययन के लिए भी यह कृति अनुपम आदर्श है। सभी मनीषियों, जिज्ञासुओं तथा भारतीय सभ्यता-संस्कृति के प्रेमियों को यह अवश्य पठनीय, मननीय एवं संग्रहणीय है। -सम्पादक ** (6) पुस्तक का नाम : महावीर-पदावली अनुवाद : डॉ० वीरसागर जैन प्रकाशक : श्री कुन्दकुन्द भारती न्यास संस्करण : प्रथम, 2001 ई० मूल्य : 10/- रुपये (पपरबैक, लगभग 36 पृष्ठ) भगवान् महावीर के 2600वें जन्म-कल्याणक-वर्ष के सुअवसर पर प्रकाशित इस सुन्दर लघुकाय-कृति में भगवान् महावीर से सम्बन्धित 26 भजनों का सानुवाद संकलन किया गया है। इस कृति के प्रारम्भ में परमपूज्य आचार्यश्री विद्यानन्द जी मुनिराज का पावन मंगल आशीर्वचन' इसकी गरिमा को वृद्धिंगत करता है। कविवर पं० द्यानतराय, भूधरदास, सिंहकीर्ति, जगराम, बुधजन, नयनानन्द, दौलतराम, बुधमहाचन्द्र एवं हजारी जी द्वारा विरचित ये भजन संगीत, गेयता, भक्ति एवं तत्त्वज्ञान की दृष्टि से विशिष्ट हैं। परिशिष्ट में इन कवियों का सांकेतिक परिचय भी दिया गया है। इस प्रासंगिक प्रकाशक के लिए संपादक एवं प्रकाशन संस्था —दोनों बधाई के पात्र हैं। __–सम्पादक ** मत ठुकराओ, गले लगाओ, धर्म सिखाओ – (आचार्यश्री विद्यानन्द मुनि) 10 100 प्राकृतविद्या- जुलाई-सितम्बर '2001
SR No.521366
Book TitlePrakrit Vidya 2001 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2001
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Prakrit Vidya, & India
File Size10 MB
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