SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 101
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परिप्रेक्ष्य में विवेचन मिलता है। यद्यपि प्रारंभ में ही दिगम्बर जैनाचार्य शिवार्य-प्रणीत 'भगवती-आराधना' के केन्द्रित कर दो आलेख जैसे परिच्छेद हैं, किन्तु उसमें ग्रंथ एवं ग्रंथकार की परम्परा के विषय में मौनसाधन ही विद्वान् लेखक ने इष्ट समझा है। वैसे समग्र विषयवस्तु को देखने पर विविधविषयों पर लिखे गये लेखों का संकलन ही यह पुस्तक लगती है, अपने शीर्षक के अनुरूप कोई सुव्यवस्थित रूपरेखा एवं तदनुसारी प्रस्तुतीकरण इसमें परिलक्षित नहीं होता है। किन्तु ऐसा होते हुए भी वर्ण्य-विषय की उपयोगिता एवं लेखकीय श्रम को कमतर नहीं आंका जा सकता है। संपादन एवं प्रूफ-संबंधी अशुद्धियों के लिए तो विद्वान् लेखक ने अपनी प्ररोचना' में स्वयं ही स्वीकृति प्रदान की है, अत: एतद्विषयक उल्लेख उचित नहीं लगता। निष्कर्षत: जिज्ञासु पाठकों को कतिपय विषयों (जैसे—'भगवती आराधना में निपात') के महत्त्वपूर्ण प्ररूपण करनेवाली इस पुस्तक का निर्माण करने के लिए विद्वान् लेखक एवं उनकी प्रकाशन-संस्था को साधुवाद देता हूँ। हाँ ! मूल्य के निर्धारण में उद्योगपतियों को भी पीछे छोड़ दिया गया है - यह चिन्तनीय अवश्य है। –सम्पादक ** पुस्तक का नाम : मंगल तीर्थयात्रा लेखिका : डॉ० (प्रो०) श्रीमती विद्यावती जैन प्रकाशक : श्री अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत्परिषद ट्रस्ट संस्करण : प्रथम, 2001 ई० मूल्य : 5/- रुपये (पपरबैक, लगभग 32 पृष्ठ) लेखनकला की विधाओं में यात्रा-वृत्तान्त-परक लेखों का ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सामाजिक एवं धार्मिक दृष्टियों से कभी-कभी बड़ा महत्त्व होता है। परमपूज्य आचार्यश्री विद्यानन्द जी मुनिराज की 77वीं पावन जन्म-जयन्ती के शुभ-प्रसंग पर 'अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत्परिषद् ट्रस्ट' द्वारा प्रकाशित यह कृति इन सभी दृष्टियों से महनीय है। यद्यपि इसका कलेवर लघुकाय है, फिर भी देशभर के चुनिंदा जैन मनीषियों की दक्षिण भारत के तीर्थक्षेत्रों की मंगलयात्रा का यह वृत्तान्त विदुषी लेखिका के प्रभावी प्रस्तुतीकरण से गरिमापूर्ण बन पड़ा है। इस सुन्दर प्रकाशन के लिए विदुषी लेखिका एवं प्रकाशक-संस्थान अभिनंदनीय हैं। –सम्पादक ** पुस्तक का नाम : चीनी यात्री फाहियान का यात्रा-विवरण अनुवाद : जगन्मोहन वर्मा प्रकाशक ___ : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्राकृतविद्या जुलाई-सितम्बर '2001 40 99
SR No.521366
Book TitlePrakrit Vidya 2001 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2001
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Prakrit Vidya, & India
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy