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ग्रन्थ-प्रणयन तथा सौराष्ट्र - देश की सुरम्यता का वर्णन । कृष्ण और बलभद्र का कुण्डिनपुर जाकर रुक्मिणी हरण तथा शिशुपाल
वध ।
रुक्मिणी के पुत्र प्रद्युम्न का जन्म एवं धूमकेतु-असुर द्वारा उसका हरण । पुत्र-हरण एवं तत्सम्बन्धी शोक, नारद का प्रद्युम्न की खोज में सीमन्धर स्वामी के समवशरण में पहुँचना एवं उनके द्वारा प्रद्युम्न के पूर्व - बैर की कथा का आरम्भ ।
प्रद्युम्न का पूर्वभव- निरूपण एवं मगध देश का वर्णन ।
प्रद्युम्न का पूर्वभव-निरूपण एवं उस माध्यम से अयोध्या एवं कौशल-नरेशों का सौन्दर्य-वर्णन एवं बल-निरूपण ।
नारद का रुक्मिणी को सन्देश देना कि प्रद्युम्न का मेघकूटपुर के राजा के यहाँ लालन-पालन हो रहा है तथा वह 16 वर्ष पूर्ण होने पर वापिस आयेगा ।
कुमार प्रद्युम्न को सोलह-विद्याओं का लाभ ।
कुमार प्रद्युम्न और राजा कीलसंवर का परस्पर में भीषण युद्ध एवं नारद द्वारा युद्ध को रोकना ।
नारद के साथ कुमार प्रद्युम्न का द्वारकापुरी के लिए प्रयाण एवं मार्ग में दुर्योधन की पुत्री उदधिकुमारी से भेंट तथा प्रद्युम्न का अनेक रूप धारण कर कौतुक करना एवं सत्यभामा के पुत्र भानु का मान-भंग
करना ।
अनेक प्रकार के क्रिया-कलाप करते हुए प्रद्युम्न का अपने पितामह के साथ मेष-युद्ध, तत्पश्चात् क्षुल्लक- वेश में अपनी माता रुक्मिणी के पास पहुँचना ।
प्रद्युम्न का विविध रूप बनाकर द्वारकावासी नर-नारियों को परेशान करना एवं बलभद्र के साथ सिंह - वेश में युद्ध करना ।
में नारद द्वारा युद्ध बन्द
प्रद्युम्न का कृष्ण के साथ भीषण युद्ध, बा कराकर पिता-पुत्र का मिलन करवाना।
प्रद्युम्न एवं भानु-विवाह, शम्बु- जन्म, सुभानु- जन्म एवं उसका विवाह और शम्बु के विवाह के लिए कुण्डिनपुर के राजा रूपकुमार से युद्ध । राजा रूपकुमार पर विजय प्राप्त कर उनकी पुत्रियों से प्रद्युम्न एवं शम्बु का विवाह । तीर्थंकर नेमिनाथ द्वारा द्वारका-विनाश एवं जरत्कुमार के द्वारा श्रीकृष्ण की मृत्यु की भविष्यवाणी तथा शम्बु, भानु, अनिरुद्ध,
प्राकृतविद्या+अक्तूबर-दिसम्बर '2000