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बात का प्ररूपण करते हुए जैनाचार्य लिखते हैं
'यदेवार्थक्रियाकारि तदेव परमार्थसत्' - (कार्तिकेयानुप्रेक्षा, भाष्य 226) अर्थ:- सत् का परमार्थ लक्षण अर्थक्रियाकारित्व है। तथा
'सत् द्रव्यलक्षणम्' – (तत्त्वार्थसूत्र, 5/29) अर्थ:- 'सत्' ही द्रव्य का लक्षण है। 'अनेकान्तमन्तरेण तस्यार्थक्रियाकर्तृत्वापपत्ते:'
-(आचार्य वीरसेन, धवला 1/1/10, पृ0 168) अर्थ:- अनेकान्तवाद के बिना उसका अर्थक्रियाकारित्व नहीं बन सकता। जिसप्रकार दीपक के भीतर रुई, आग, तेल और पात्र में तीनों विरोधी और भिन्न-भिन्न प्रकृति की वस्तुयें मिलकर कार्य करती दृष्टिगोचर होती हैं।
_ 'एकस्यानेककार्यदर्शनादग्निवत्' -(आचार्य पूज्यपाद, सर्वार्थसिद्धि: 9/3/79) अर्थ:- अग्नि के एक होते हुए भी इसके एक समय में अनेक कार्य प्रत्यक्ष देखे जाते हैं।
इसी अर्थक्रियाकारित्व की शक्ति का प्रक्रियागत व्यापक चित्र जैनाचार्यों ने भली भाँति चित्रित किया है। अग्नि की खोज
“जाणदि पस्सदि भुंजदि सेवदि फस्सिंदिएण ऍक्केण । कुणदि य तस्सामित्तं थावर-एइंदिओ तेण ।।"
___ -(आचार्य वीरसेन स्वामी, 'धवला' ग्रंथ, 1/1/33) अर्थ:- अग्नि स्थावर-जातिवाला एकेन्द्रिय जीव है, वह अपनी उसी एक स्पर्शनेन्द्रिय के माध्यम से जानता है, देखता है, भोगता है, सेवन करता है और (अपने सम्पर्क में आगत ईंधन आदि पदार्थों का) स्वामित्व भी करता है।
अग्नि एकेन्द्रिय जीव है। उसके केवल स्पर्शन-इन्द्रिय होती है, किन्तु वह केवल इसी एक इन्द्रिय से अन्य चार इन्द्रियों - आँख, नाक, कान और मुँह का भी काम ले लेती है। जैनों के वरिष्ठ ग्रन्थराज 'धवला' के रचयिता ने इस कथन को निम्नलिखित शब्दों में पुष्ट किया है— “स्थावर नामकर्मोदय से जीव एक स्पर्शन-इन्द्रिय के द्वारा ही जानता है, देखता है, खाता है, सेवन करता है और स्वामीपना करता है; इसलिए उसे एकेन्द्रिय स्थावर जीव कहा है। वह लिंग, चिह्न और 'स्पर्श' से जाना जाता है, अत: एक ही इन्द्रिय से पाँच इन्द्रियों का काम लिया जाना संभव है। इसके अतिरिक्त उपयोगरूप भावेन्द्रिय का काम आकार व वस्तु को जानना ही है। एकेन्द्रिय जीवों में चैतन्य के चिह्न स्पष्ट दिखाई नहीं देते और वे चक्षु का विषय नहीं बन पाते; किन्तु ऐसा नहीं है कि वे चिह्न उसमें होते ही नहीं हैं। उसमें वे होते हैं, इसीलिए एकेन्द्रिय जीव अन्य चार इन्द्रियों का काम भी कर लेता है।” धवलाकार का उपर्युक्त कथन सत्य ही है।
प्राकृतविद्या अक्तूबर-दिसम्बर '2000
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