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________________ डॉ० प्रेमचंद रांवका डॉ० रमेशचन्द जैन रूपकमल चौधरी 74-82 83-85 86-88 13. हमारी बद्रीनाथ-यात्रा (रिपोतार्ज) 14. जिनधर्म-प्रभावक आचार्यश्री विद्यानन्द जी 15. बिहार के कुछ पवित्र जैनतीर्थ 14. पुस्तक समीक्षा 1. प्रेमयकमलमार्तण्ड-परिशीलन 2. ध्यानोपदेशकोष (योगसारसंग्रह) | डॉ० सुदीप जैन 89-91 ॐ वर्ष 11, अंक 3, अक्तूबर-दिसम्बर 1999 ई० क्र०सं० आलेख का शीर्षक लेखक पृष्ठ संख्या 1. ग्रामे-ग्रामे कालापक..... (संपादकीय) डॉ० सुदीप जैन 4-11 'महाबंध' किस भाषा में है? डॉ० देवेन्द्र कुमार शास्त्री 12-17 3. 'छक्खंडागमसुत्त' की भाषा स्व० पं० बालचन्द्र शास्त्री 18-28 4. देवनिर्मित जैनस्तूप 'वोद्वे थूमे' कुन्दन लाल जैन 30-32 5. क्रोधादि कषायों का विशेष विवरण 33-39 पालि एवं प्राकृत : एक तुलनात्मक अध्ययन डॉ० विजय कुमार जैन 40-43 श्रमण-संस्कृति का प्रमुख केन्द्र कारंजा : कुछ संस्मरण प्रो० (डॉ०) विद्यावती जैन 44-47 आत्मा और ज्ञान का स्वरूप तथा सम्बन्ध 'पवयणसार' के सन्दर्भ में डॉ० जिनेन्द्र कुमार जैन 56-59 9. जिनपरम्परा के उद्घोषक महाकवि स्वयंभू स्नेहलता जैन 48-55 10. महाकवि कालिदास के नाटकों में प्राकृत-प्रयोग डॉ० (श्रीमती) राका जैन 62-67 11. कन्नड़ भाषा में रचित जैन-आयुर्वेद के ग्रंथ राजकुमार जैन 69-73 12. आचार्य कुन्दकुन्द का अध्यात्म डॉ० जयकुमार उपाध्ये 74-81 13. प्राचीन वैशाली का व्यापारिक पक्ष डॉ० जयंत कुमार 82-86 14. भरतपुत्री का क्षेत्र केरल' राजमल जैन 87-94 15. पुस्तक समीक्षा 1. द्वादशानुप्रेक्षा (मराठी) 2. जिनागमों की मूलभाषा डॉ० सुदीप जैन 95-100 ॐ वर्ष 11, अंक 4, जनवरी-मार्च 2000 ई० क्र०सं० आलेख का शीर्षक लेखक 1. मिथ्यात्व-रहित सभी एकदेशजिन हैं (संपादकीय) डॉ० सुदीप जैन पृष्ठ संख्या 4-8 0078 प्राकृतविद्या अप्रैल-जून '2000
SR No.521362
Book TitlePrakrit Vidya 2000 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2000
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Prakrit Vidya, & India
File Size9 MB
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