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पा काश-स्तम्भ
'कातंत्र व्याकरण' और आचार्य विद्यानन्द डॉ० जानकीप्रसाद द्विवेदी 26-38 6. शौरसेनी आगम-साहित्य की भाषा का मूल्यांकन स्व० पं० हीरालाल जैन 40-47 7. प्राकृतभाषा के ग्रंथ 'तिलोयपण्णत्ती' में वर्णित
सिद्धलोक और आचार्य कुंदकुंद के पंच परमागम : एक तुलनात्मक अध्ययन
डॉ० राजेन्द्र कुमार बंसल 48-55 8. गणेशप्रसाद वर्णी का शिक्षा-जगत् में योगदान डॉ० दयाचंद्र साहित्याचार्य 56-59 9. प्राकृतभाषा के दो प्रकाश-स्तम्भ
डॉ० अभय प्रकाश जैन 62-65 10. जैन सम्राट् खारवेल के हाथीगुम्फा-अभिलेख के कतिपय अभिनव तथ्य
डॉ० सुदीप जैन 66-71 11. शौरसेनी प्राकृत एवं गणित
डॉ० अनुपम जैन 72-74 12. आयुर्वेद वाङ्मय की रचना-प्रक्रिया में जैनाचार्यों का अवदान
राजकुमार जैन 75-81 13. पंचत्थिकायसंगहसुत्तं' की आचार्य अमृतचन्द्र सूरिकृत व्याख्या में उद्धरण
डॉ० कमलेश कुमार जैन 82-85 14. पुस्तक समीक्षा
1. जैन-जागरण के अग्रदूत : हीराचंद नेमचंद | 2. जैनागम-इतिहास-दीपिका (कन्नड़) | डॉ० सुदीप जैन 86-89 3. अपभ्रंश-भाषा का पारिभाषिक कोश
वर्ष 11, अंक 2, जुलाई-सितम्बर 1999 ई० क्र०सं० आलेख का शीर्षक
लेखक
पृष्ठ संख्या 1. विद्वत्सेवा की रजत-जयंती (संपादकीय) डॉ० सुदीप जैन 5-8 2. कायोत्सर्ग : परमात्मा बनने का विधान आचार्यश्री विद्यानन्द मुनि 9-12 3. वस्त्रावेष्टित साधु : कृष्णा मेनन
___13-14 4. जैन-संस्कृति एवं तीर्थंकर-परम्परा
स्व० विशम्भरनाथ पाण्डे 15-18 'प्राचीन भारत पुस्तक' में जैनधर्म की कुछ भ्रान्तियों का निराकरण
राजमल जैन
19-30 6. स्वाध्याय.
आचार्यश्री विद्यानन्द मुनि 31-37 7. तिसट्ठि-महापुराण-पुरिस-आयार-गुणालंकारु प्रो० राजाराम जैन 39-48 8. अपभ्रंश की सरस सशक्त कृति 'चूनडी रासक' । कुन्दनलाल जैन 49-56 9. अपभ्रंश के आद्य महाकवि स्वयंभू एवं उनके नारीपात्र डॉ० विद्यावती जैन 57-66 10. अहिंसा : एक विश्वधर्म
श्रीमती रंजना जैन 67-68 11. डॉ० लुडविग अल्सडोर्फ
डॉ० अभय प्रकाश जैन 69-70 12. आदिब्रह्मा तीर्थंकर ऋषभदेव
डॉ० सुदीप जैन 71-73
प्राकृतविद्या अप्रैल-जून '2000
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