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________________ एक क्रांति का जनक : लुइ ब्रेल चार जनवरी 1809 को फ्रांस में 'लुई ब्रेल' का जन्म हुआ। उनके पिता घोड़े पर रखी जाने वाली जीन व चमड़ों की सिलाई का काम करते थे। लुई ब्रेल जब तीन वर्ष के थे, वे एक दिन खेलते-खेलते अपने पिता के पास पहुँच गये। उनके पिता अपने काम में मशगूल थे। लुई ब्रेल सुओं से खेलने लगे। अचानक एक सुआ उनकी आँख में घुस गया, जिससे उनकी आँखें लहुलुहान हो गईं। उन्हें डॉक्टर के पास ले जाया गया, पर तब तक काफी देर हो चुकी थी; उनकी एक आँख खराब हो गई थी। लुई ब्रेल के पिता को गहरा आघात लगा। वे उनकी आँख का इलाज कराते रहे, पर कुछ वर्षों बाद लुई ब्रेल की दूसरी आँख से भी रोशनी खत्म हो गई। वे इस विपत्ति से विचलित हो उठे थे। अंत में उन्होंने संकल्प लिया कि लुई ब्रेल को अपाहिज नहीं होने देंगे। उन्होंने लुई ब्रेल को पढ़ाने का काम शुरू किया। उस समय दृष्टिहीनों को पढ़ाने के लिए प्लास्टिक व लकड़ी के बने बड़े अक्षरों से शिक्षा दी जाती थी। वह एक अवैज्ञानिक तरीका था। इससे दृष्टिहीन अल्पज्ञान ही प्राप्त कर सकते थे। ___ लुई ब्रेल ने कुछ दिनों शिक्षा प्राप्त की। लुईब्रेल के सोचने की क्षमता बेमिसाल थी। वे हर वक्त कुछ न कुछ सोचा ही करते थे। एक दिन वे बैठकर कुछ कर रहे थे, तो उनके हाथ एक पेपर व पिन आ गया। पिन को हाथ में लेकर वे कुछ सोचने लगे. अचानक उक्त पेपर में वह पिन चुभ गई। जब लुई ब्रेल ने उक्त पिन को पेपर से निकालना चाहा, तो पेपर उलट गया और जिस जगह वह पिन चुभी थी, वहां एक उभार बन गया। लुई ब्रेल की जिज्ञासा बढ़ गई। उन्होंने इस पेपर पर कई जगह पिन चुभोई और उसके उभारों को महसूस किया। इन्हीं उभारों से उन्हें एक सिद्धांत मिल गया। उसी समय लुई ब्रेल ने उभारों के सहारे दृष्टिहीनों के लिए लिपि बनाने की बात सोची। इस काम को कैसे आगे बढ़ाया जाए, इसी उधेड़बुन में वे लगे रहते थे। ___ एक दिन एक रिटायर्ड फौजी अधिकारी चार्ल्स बार्बियर से लुई ब्रेल की मुलाकात हुई। लुई ब्रेल ने चार्ल्स बार्बियर को अपनी योजना के बारे में बतलाया। चार्ल्स ने कहा हमारी सेना ने भी कुछ इसी तरह की लिपि बनाई है। सैनिकों को संदेश भेजने के लिए इस लिपि का इस्तेमाल होता है। सैनिक अंधेरे में भी संदेशों को पढ़ सकें, इसलिये हाथ प्राकृतविद्या अप्रैल-जून '2000 0065
SR No.521362
Book TitlePrakrit Vidya 2000 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2000
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Prakrit Vidya, & India
File Size9 MB
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