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________________ अधीन बना लिया। ___ 2. कुछ समय बाद राक्षसवंश में भी सुकेश-पुत्र 'माली' शक्तिशाली शासक हुआ। सुकेश द्वारा माली को यह बताने पर कि “लंका-नगरी विद्याधरों द्वारा हमने छीन ली गयी है, चारों और दुश्मनों की शंका है, कहाँ जायें?" यह सुन माली प्रदीप्त हो उठा और उसने विद्याधरराज निधति' को मारकर पुन: लंका पर अपना आधिपत्य कर लिया और सभी विद्याधरों को भी अपने अधीन कर लिया। 3. विद्याधरवंश में राजा सहस्रार के शक्तिशाली ‘इन्द्र' नामक पुत्र हुआ। इन्द्र के शक्तिशाली होने पर माली के अधीनस्थ विद्याधर पुन: इन्द्र से जाकर मिल गये। इन्द्र के साथ हुये युद्ध में वानरवंशी राजाओं ने माली का साथ दिया। युद्ध में माली के अस्त्र विफल होने पर विद्याधरवंशी इन्द्र अपने आपको दव' सम्बोधित करते हुए मालि से कहता है—“अरे मानव ! क्या देव के दानव (राक्षसवंश) टिक सकते हैं?" तभी मालि ने कहा—“तुम कौन से देव हो, तुमने तो केवल इन्द्रजाल सीखा है।" इस युद्ध में विद्याधरराज इन्द्र विजयी हुआ और पुन: लंका पर अधिकार कर लिया। 4. फिर राक्षसवंश में रावण सबसे अधिक शक्तिशाली शासक सिद्ध हुआ। उसने विद्याधरों को आहत कर पुन: लंका पर अपना आधिपत्य कर लिया। रावण के होने से अब राक्षसवंश विद्याधरवंश की तुलना में अधिक बलशाली हुआ। 5. पुन: वानरवंशी 'किष्किन्ध' के बेटों के साथ विद्याधर 'यम' के द्वारा हुये युद्ध में रावण ने वानरवंशियों का साथ देकर यम के साथ युद्ध किया। विद्याधरों को पराजित तो किया ही साथ ही, यम ने अपनी नगरी में बहुत से लोगों को सन्त्रस्त कर रखा था, उनको भी मुक्त करवाया तथा किष्किन्ध के बेटों को पुन: 'किष्किन्धपुरी' दिलवायी। 6. आगे कुछ समय पश्चात् वानरवंश में उत्पन्न हुये बालि ने अब तक की राक्षसों के अधीन वानरों की रहने की जो परम्परा थी, वह तोड़ दी और उसने अपना अलग ही अस्तित्व बनाया, जिससे रावण ने आशंकित हो बालि से युद्ध किया। युद्ध में बालि की अभूतपूर्व विजय हुई। रावण ने बालि की वन्दना कर अपनी स्वयं की निन्दा भी की। बालि के द्वारा श्रमणदीक्षा अंगीकार कर लिए जाने पर पुनः वानरवंश राक्षसवंश के अधीन हो गया। वैसे तो विद्याधर काण्ड' की कथा का निरपेक्षरूप यहीं समाप्त हो जाता है। मात्र आगे तो शुरू होने वाली रामकथा के लिए हनुमान नामक पात्र को लाया गया है और यह भी संकेत दिया गया है कि जिस हनुमान ने अभी तक रावण के पक्ष में रहकर जिस पराक्रम से विद्याधरवंशी राजाओं से युद्ध किया, वही हनुमान आगे राम के पक्ष में रहकर रावण के साथ युद्ध करेगा। इसप्रकार इक्ष्वाकुवंश चार सन्धि के बाद आगे का पूरा विद्याधर काण्ड' एक ही मूल प्राकृतविद्या अप्रैल-जून '2000 0063
SR No.521362
Book TitlePrakrit Vidya 2000 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2000
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Prakrit Vidya, & India
File Size9 MB
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