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________________ यशस्वी सुत के पावन संस्मरण ' -प्रो० (डॉ०) राजाराम जैन सन् 1954 के दिसम्बर मास की घटना है, मैं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से 'एम०ए०' तथा 'शास्त्राचार्य' की उपाधि प्राप्तकर किसी सर्विस की खोज के लिये व्यग्र था। श्रद्धेय साहू शान्तिप्रसाद जी के आदरास्पद विद्वान् प्रो० (पं०) पन्नालाल जी धर्मालंकार (मालथौन) से मैंने अपनी व्याकुलता बतलाई और उन्होंने मुझे तत्काल ही एक पत्र देकर श्रद्धेय साहू शान्तिप्रसाद जी के पास कलकत्ता भेज दिया। उस समय 'भारतीय ज्ञानपीठ' का प्रधान कार्यालय कलकत्ता में था। तथा साहू जी सपरिवार वहीं निवास करते थे। मैं सहमा-सहमा साहू जी के कार्यालय (11 क्लाइव रो) में पहुँचा और पण्डितजी का वह पत्र उन्हें देकर उनके चेहरे के भावों को पढ़ने का प्रयत्न करने लगा। उन्होंने कुछ विचार कर मुझे अगले दिन अपने निवास स्थान (अलीपुर रोड़) पर पुन: मिलने का आदेश दिया। आशा एवं निराशा के द्वन्द्व में डूबता-उतराता हुआ अगले दिन मैं उनके आवास पर पहुँचा। अपनी पैनी दृष्टि से मेरे अन्तर्बाह्य का परीक्षण कर उन्होंने मुझे अपने ज्येष्ठ पुत्र साहू अशोक कुमार जी के पास भेजा। साहू अशोक जी से यही मेरी प्रथम पहिचान-भेंट थी। आयु में कुछ समकक्ष होने तथा उनका स्वभाव कुछ मृदुल, संवेदनशील तथा हँसमुख रहने के कारण मुझे ऐसा विश्वास होने लगा कि मैं अपनी प्रतिभा से उन्हें प्रभावित कर लूँगा तथा मुझे उनके यहाँ किसी विभाग में सर्विस भी मिल जायेगी। साक्षात्कार के रूप में अशोक जी ने सबसे पहले मेरा पारिवारिक परिचय पूछा। पुन: मेरे विद्यार्थीकाल में विशेषज्ञ विद्वानों के साथ मेरे सम्पर्कों की जानकारी लेकर मेरे निबन्धादि लेखन के अनुभव तथा मेरी अभिरुचियों के विषय पूछे। उस समय मैं यही अनुभव कर रहा था कि इन प्रश्नों के माध्यम से अशोक जी मेरे संस्कारों, निष्ठाओं, प्रकृति, चरित्र एवं प्रवृत्तियों का परीक्षण कर रहे थे। संस्कृत, प्राकृत भाषाओं तथा जैनधर्म के मूलग्रन्थों की जानकारी भी मुझसे पूछी और उन्होंने मुझे कुछ ऐसा आभास दिया कि वे सर्विस के लिए मेरा नाम साहू शान्तिप्रसाद के लिये अनुशंसित करने जा रहे हैं। उन्होंने मुझे अगले दिन ही ज्ञानपीठ कार्यालय में अपने पूज्य पिता जी से मिलने की सलाह दी। 0040 प्राकृतविद्या अप्रैल-जून '2000
SR No.521362
Book TitlePrakrit Vidya 2000 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2000
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Prakrit Vidya, & India
File Size9 MB
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