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________________ आचार्य कुन्दकुन्द के ग्रन्थों की भाषा -डॉ० देवेन्द्रकुमार शास्त्री विगत पाँच दशकों में भारतीय विद्या के क्षेत्र में किये गये शोध-कार्यों से दो महत्त्वपूर्ण तथ्य प्रकाशित होकर सामने आये हैं— प्रथम आचार्य कुन्दकुन्द का जन्म आन्ध्रप्रदेश में हुआ था और उनके नाम पर उस ग्राम का नाम, उस बस्ती को कोण्डकुंदि' कहते हैं। द्वितीय यह कि आचार्य कुन्दकुन्द का जन्म उस समय हुआ था, जब आन्ध्र प्रदेश में सातवाहन नृपति का शासन-काल था। भारतीय इतिहासविदों के अनुसार यह सुनिश्चित है कि आचार्य कुन्दकुन्द गुप्तकाल के पूर्व हुए।' यह भी निश्चित होता है कि आन्ध्र में 'गुन्टुपल्ली' के शिलालेखों के अनुसार ईस्वी पूर्व द्वितीय शताब्दी में वहाँ पर जैनधर्म का प्रचार-प्रसार हो चुका था, जिसे प्रसृत करने में कोण्डकुन्दाचार्य का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। वे उसके मुखिया थे। 'सातवाहन वंश' की स्थापना ई०पू० 210 में हुई थी। आन्ध्रप्रदेश पर अधिकार हो जाने के पश्चात् वह 'आन्ध्रवंश' के नाम से प्रसिद्ध हो गया।' अत: पुराणों में उसका उल्लेख 'आन्ध्रवंश' के नाम से किया गया है। वेल्लारिपुर' में उपलब्ध शिलालेख में आन्ध्रप्रदेश को 'सातवाहनिहार' कहा गया है। सातवाहनों के सम्पूर्ण शिलालेख प्राकृतभाषा में लिखित प्राप्त होते हैं। एक भी शिलालेख तेलुगु भाषा में लिखा गया आज तक प्राप्त नहीं हुआ। यह एक आश्चर्यजनक तथ्य है कि भारतवर्ष के प्राचीनतम शिलालेख प्राकृतभाषा में उपलब्ध होते हैं। यहाँ तक कि 'भारतवर्ष' शब्द का प्राचीनतम उल्लेख कलिंग-देश खारवेल के शिलालेख में 'भरधवस' रूप में किया गया है। सबसे अधिक आश्चर्यकारी यह है कि सम्राट् खारवेल तथा सातवाहनवंशी राजाओं के शिलालेख प्राकृत में उपलब्ध होते हैं। मूल सातवाहन वंश में 19 राजा हुए होंगे जिनमें शिवस्वाति (78 ई०), शिवश्री (165 ई०) और शिवस्कन्द (172 ई०) भी हैं, जो तीन सौ वर्षों के भीतर हुए। नहपान या नरवाहन की तिथि 124 ई० है। नरवाहन के काल में आचार्य भूतबलि-पुष्पदन्त हुए। अत: आचार्य कुन्दकुन्द उनके पूर्व हुए थे। नन्दिसंघ की पट्टावली के अनुसार विक्रमसंवत् 49 में कोण्डकुन्द को आचार्यपद से अलंकृत किया गया था। ग्यारह वर्ष की अवस्था में उन्होंने श्रमण (सामायिकचारित्र) दीक्षा धारण की थी और चवालीसवें वर्ष में आचार्य प्राकृतविद्या अप्रैल-जून '2000 00 25
SR No.521362
Book TitlePrakrit Vidya 2000 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2000
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Prakrit Vidya, & India
File Size9 MB
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