________________
जैन का आलेख प्रस्तुति की विशेषता के कारण अधिक चर्चित रहे । इस सत्र का संचालन डॉ० सुदीप जैन ने किया ।
'द्वितीय सत्र'
संगोष्ठी के 'द्वितीय सत्र' की अध्यक्षता विद्वद्वर्य प्रो० सत्यरंजन बनर्जी, कलकत्ता ने की। इस सत्र में कुल 6 शोध - आलेख पढ़े गये और उन पर विशद चर्चा हुई। पठित आलेखों के प्रस्तोता विद्वान् एवं आलेख - विषय निम्नानुसार हैं
1. प्रो० प्रेमसुमन जैन, उदयपुर
- अपराह्न 3.00 बजे से 5.30 बजे तक
-
(प्रो० प्राकृत विभाग, उदयपुर विश्वविद्यालय ) 2. डॉ० सुदीप जैन, नई दिल्ली
(प्रो० संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय ) 4. डॉ० विद्यावती जैन, आरा
(रीडर, ला०ब०शा०रा०सं० विद्यापीठ, नई दिल्ली) वैशिष्ट्य ।
3. प्रो० गंगाधर पण्डा, वाराणसी
-:
( निदेशक, कोटा मुक्त विश्वविद्यालय) 2. डॉ० उदयचन्द जैन, उदयपुर
: कातन्त्र व्याकरण और कथात्मक तथ्य।
( रीडर, सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर) 3. प्रो० (डॉ०) राजाराम जैन, आरा
(प्रो० संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय ) 4. प्रो० रमेशकुमार पाण्डेय, नई दिल्ली (प्रो० ला०ब०शा०रा०सं० विद्यापीठ, नई दिल्ली)
☐☐ 106
: कातन्त्र व्याकरण की मूल परम्परा एवं
( पूर्व प्रो० मगध विश्वविद्यालय, आरा ) 5. डॉ० प्रकाशचन्द्र जैन, साहिबाबाद (पूर्व प्राचार्य समन्तभद्र महाविद्यालय ) 6. डॉ० देवेन्द्र कुमार शास्त्री, नई दिल्ली (शोध अधिकारी, भारतीय ज्ञानपीठ, नई दिल्ली)
इनमें प्रो० प्रेमसुमन जैन का आलेख अपने विषय चयन एवं डॉ० सुदीप जैन का आलेख शोधात्मक दृष्टि की विशेषता एवं डॉ० विद्यावती जैन का आलेख पाण्डुलिपियों की . व्यापक जानकारी की दृष्टि से अधिक चर्चित रहे । इस सत्र का संचालन प्रो० ( डॉ०) राजाराम जैन ने किया ।
: कातन्त्र व्याकरण की अपूर्वता ।
'तृतीय- सन्न' - प्रात: काल 9.00 बजे से 12.00 बजे तक
संगोष्ठी के 'तृतीय सत्र' की अध्यक्षता विद्वद्वर्य एवं वरिष्ठ समालोचक प्रो० नामवर सिंह, नई दिल्ली ने की। इस सत्र में कुल 6 शोध - आलेख पढ़े गये और उन पर विशद चर्चा हुई। पठित आलेखों के प्रस्तोता विद्वान् एवं आलेख - विषय निम्नानुसार हैं। 1. डॉ० सुषमा सिंघवी, उदयपुर
:
: Katantra Vyakrana - The Style and Technical Terms
: राजस्थान के शास्त्र - भण्डारों में
: कातन्त्र व्याकरण सम्बन्धी कुछ दुर्लभ पाण्डुलिपियाँ ।
शर्ववर्म प्रणीत कातन्त्र व्याकरण में वर्ण-विचार
: कातन्त्र व्याकरण की प्राचीनता ।
उपलब्ध कातन्त्र व्यारण । अद्यावधि अप्रकाशित कातन्त्र - विस्तर परिचयात्मक अध्ययन ।
: कातन्त्र का नाट्यशास्त्र पर प्रभाव ।
प्राकृतविद्या�अप्रैल-जून '2000