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________________ समाचार दर्शन आचार्य कुन्दकुन्द स्मृति व्याख्यानमाला का छठवां सत्र सम्पन्न श्री लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ (मानित विश्वविद्यालय), नई दिल्ली में दिनांक 23 एवं 24 मार्च 2000 ई० को शौरसेनी प्राकृतभाषा एवं साहित्य-विषयक आचार्य कुन्दकुन्द स्मृति व्याख्यानमाला का छठवां सत्र गरिमापूर्वक सम्पन्न हुआ। श्री कुन्दकुन्द भारती न्यास द्वारा इस विद्यापीठ में स्थापित यह व्याख्यानमाला विगत 6 वर्षों से प्राकृतभाषा और साहित्य के उच्चस्तरीय सुप्रसिद्ध विद्वानों के गरिमापूर्ण व्याख्यान प्रतिवर्ष आयोजित करती है । तथा प्रत्येक वर्ष दो दिन दो शैक्षणिक सत्रों में अलग-अलग विषयों पर महत्त्वपूर्ण व्याख्यान मुख्यवक्ता के द्वारा प्रदान किये जाते हैं। यह एक विशेष उपलब्धि है कि प्रायः इस व्याख्यानमाला में परमपूज्य आचार्यश्री विद्यानन्द जी मुनिराज का पावन सान्निध्य भी प्राप्त होता है । इस वर्ष की व्याख्यानमाला में मुख्यवक्ता के रूप में पधारे विद्ववर्य प्रो० प्रेमसुमन जैन (अध्यक्ष, जैनविद्या एवं प्राकृतविभाग, सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर) के दो महत्त्वपूर्ण व्याख्यान हुये। दिनांक 23 मार्च के व्याख्यान का विषय था- 'प्राकृत - अध्ययन के सौ वर्ष', तथा 24 मार्च को उन्होंने ‘शौरसेनी प्राकृत साहित्य की सांस्कृतिक धरोहर' विषय पर अपना व्याख्यान दिया । इन दोनों व्याख्यान-स - सत्रों में परमपूज्य आचार्यश्री के मंगल प्रवचन भी समागत विद्वानों एवं जिज्ञासुओं के लिये विशेष आकर्षण के केन्द्र रहे। व्याख्यानमाला में समागत विद्वानों एवं अतिथियों का वैदुष्यपूर्ण स्वागत विद्यापीठ के माननीय कुलपति प्रो० ( डॉ० ) वाचस्पति उपाध्याय ने किया । इस व्याख्यानमाला के द्वारा विद्यापीठ में ही नहीं, अपितु सारे देश में प्राकृतभाषा, विशेषतः शौरसेनी प्राकृत के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त हो रही हैं। सदा की भाँति इस सत्र का भी संयोजन एवं संचालन विद्यापीठ में प्राकृतभाषा विभाग के अध्यक्ष डॉ० सुदीप जैन ने किया । --डॉ० जयकुमार उपाध्ये ** 'कातंत्र - व्याकरण' भारतीय लोकभाषाओं एवं संस्कृत दोनों का सेतु “ ईसापूर्व काल में रचित कातंत्र - व्याकरण नामक ग्रंथ समस्त भारतीय लोकभाषाओं एवं संस्कृत भाषा के बीच 'सेतु' का काम करता है । यह ग्रंथ सरलतम पद्धति से हर वर्ग के लोगों ☐☐ 104 प्राकृतविद्या�अप्रैल-जून '2000
SR No.521362
Book TitlePrakrit Vidya 2000 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2000
Total Pages116
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Prakrit Vidya, & India
File Size9 MB
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