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जायेगा, ताकि समाज अपने पूर्वजों की यशोगाथा से परिचित एवं लाभान्वित हो सके ।
इसका सम्पादन एवं प्रकाशन स्तरीय है । यद्यपि इसकी बाईंडिंग एवं मुद्रण का स्तर इस कृति की गरिमा के अनुरूप नहीं बन पाया है, तथापि विषय की महनीयता के कारण समग्ररूप से यह प्रयास स्तुत्य है । इस श्रेष्ठ कार्य के लिए विद्वान् लेखक एवं प्रकाशक दोनों ही साधुवाद के पात्र हैं 1
- सम्पादक **
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पुस्तक का नाम : त्रिशलानंदन तीर्थंकर महावीर ( मराठी ) लेखन-संपादन : सुश्री विशल्यादेवी गंगवाल
प्रकाशक
मूल्य
संस्करण
: श्री स्वयंभू प्रकाशन, सोलापुर-413004 (महा०) : एक सौ रुपये, (डिमाई साईज़, पेपरबैक, 151 पृष्ठ) : प्रथम संस्करण 1999 ई०
मराठी भाषा में साहित्य-प्रकाशन की परम्परा प्राचीन होते हुये भी विगत दशक में इस दिशा में जैनसमाज की जागृति उल्लेखनीय है । अभी कुछ वर्षों में बहुआयामी दृष्टिकोण से मराठी भाषा का व्यापक जैन - साहित्य प्रकाशित हुआ है। कई संस्थायें इसमें संलग्न हैं, इससे महाराष्ट्र अंचल में जैन - साहित्य एवं तत्त्वज्ञान के प्रचार-प्रसार के लिये • अच्छा वातावरण निर्मित हुआ है।
नासिक-निवासी सुश्री विशल्या गंगवाल द्वारा निर्मित इस कृति में कुल 23 परिच्छेदों के माध्यम से भगवान् महावीर की जीवन-दर्शन विषयक उपयोगी सामग्री प्रस्तुत की गई है। यद्यपि इसमें आधार-सामग्री एवं संदर्भ - सूचनाओं का प्राय: अभाव है, फिर भी भाषा एवं विषय के प्रवाह में यह कमी अधिक नहीं खलती है । आवरण-पृष्ठ पर पुरातात्त्विक महत्त्व की अर्वाचीन एवं प्राचीन सामग्री को चित्रित कर एक अच्छा प्रयास किया गया है । क्या ही अच्छा होता कि यदि इन चित्रों का परिचय भी आवरण-पृष्ठ के पीछे प्रकाशित कर दिया गया होता। इससे इन चित्रों की उपादेयता अधिक बढ़ जाती ।
इसका सम्पादन, मुद्रण एवं प्रकाशन स्तरीय है । इस अच्छे कार्य के लिए विद्वान् लेखक एवं प्रकाशक - दोनों ही बधाई के पात्र हैं ।
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: हिमालयात दिगम्बर मुनी
: पद्मचन्द शास्त्री
संपादन एवं प्रस्तावना : डॉ० सुदीप जैन
मराठी अनुवाद
प्रकाशक
पुस्तक का नाम लेखन
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:
महामहोपाध्याय श्रीमती रेखा जैन : धर्ममंगल प्रकाशन, पुणे - 411007 ( महा० )
प्राकृतविद्या + अप्रैल-जून 2000
-सम्पादक **
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