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कर्जदार बना दिया है। अहिंसक अर्थशास्त्र सदैव नियंत्रित होता है।" होम एज़ टू वैशाली' नामक पुस्तक में प्रकाशित प्रथम राष्ट्रपति डॉ० राजेन्द्र प्रसाद जी के लेख का जिक्र करते हुए आचार्यश्री ने कहा कि “यदि हमने वैशाली गणतंत्र की प्रणाली अपना ली होती, तो देश उन्नति के शिखर पर होता।" ब्र० कमलाबाई जी द्वारा महिलाओं की शिक्षा के लिए योगदान की सराहना करते हुए आचार्यश्री ने कहा कि “यह सिद्धांत है कि एक नारी पढ़ेगी तो सात पीढ़ी तिरेगी। आचार्य जिनसेन ने भी नारी की शिक्षा पर बल दिया है।"
श्री सुदर्शन ने ब्र० कमलाबाई को रजत प्रशस्तिपत्र, स्वर्णपदक, सरस्वती प्रतिमा, श्रीफल एवं एक लाख की राशि का चैक भेंट किया। समारोह का संचालन करते हुए डॉ० सुदीप जैन ने ब्र० कमलाबाई जी का प्रभावी परिचय दिया तथा प्रशस्तिपत्र का वाचन किया। श्रीमती सरयू दफ्तरी ने तिलक, प्रो० डॉ० सुषमा सिंघवी ने शाल भेंट कर माल्यार्पण किया। 'साहू अशोक जैन पुरस्कार समिति' के अध्यक्ष श्री सुखमाल चन्द जैन ने बताया कि “साहू अशोक जी की नि:स्वार्थ सेवाओं से समाज कभी उऋण नहीं हो सकता। वे अत्यन्त मृदुभाषी, कुशल नेतृत्व के धनी तथा कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलते थे। उनकी स्मृति को ताजा रखने के लिए ही इस पुरस्कार की स्थापना की गई है।"
ब्र० कमलाबाई जी ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि “मनुष्य ज्ञान, चरित्र एवं विद्या के बिना अधूरा है। पुरुष को नारी ही सन्मार्ग पर लगाती है।" उन्होंने पुरस्कार में मिली एक लाख की राशि निर्धन छात्राओं के लिए खर्च करने की घोषणा की। उनके द्वारा स्थापित महाविद्यालय में दो हजार से भी अधिक छात्रायें पढ़ती हैं। 1953 में 6 लड़कियों से इस विद्यालय की शुरुआत की गई थी। यहाँ से निकली अनेक छात्राएं उच्च पदों पर कार्यरत है। इस विद्यालय की एक विशेषता यह है कि इसमें प्राइमरी से लेकर एम०ए० तक सभी के लिए शिक्षा नि:शुल्क है।
श्री सुदर्शन ने समारोह के संयोजक श्री चक्रेश जैन को भी सम्मानित किया। उन्होंने आचार्यश्री के भजनों के संग्रह, डायरी एवं रत्नत्रय पत्रिका का लोकार्पण भी किया। समारोह में श्रीमहावीरजी की सांसद श्रीमती जसकौर मीणा, अतिशय क्षेत्र के अध्यक्ष श्री एन०के० सेठी, श्री शीलचन्द जी जौहरी, श्री रमेश चन्द जैन (पीएसजे) आदि विशेष रूप से उपस्थित थे। आकाशवाणी के महानिदेशक श्री हरिचरण वर्मा एवं शालिनी जैन ने भावपूर्ण भजन प्रस्तुत किए। डॉ० जयकुमार जैन ने सरस्वती वन्दना एवं डॉ० प्रेमसुमन जैन ने वैशाली गणतंत्र की महत्ता बताई।
–सम्पादक ** प्राच्यविद्या सम्मेलन चेन्नई (मद्रास) में अ०भा० प्राच्यविद्या सम्मेलन का 40वाँ अधिवेशन 28, 29,30 मई 2000 को मीनाक्षी कॉलेज, अरकोट रोड़ कोडमबक्कम, चेन्नई (मद्रास) में आयोजित हो रहा है। इस सम्मेलन में देश-विदेश के लगभग 1500 सौ विद्वान् सम्मिलित होंगे। इस अधिवेशन के प्राकृत एवं जैनधर्म खण्ड के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ० प्रेमसुमन जैन, सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर चुने
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प्राकृतविद्या-जनवरी-मार्च '2000