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________________ पद्मासन तथा उसकी दोनों ओर एक-एक खड्गासन प्रतिमा है। इस सम्पूर्ण फलक में 59 प्रतिमाएँ पद्मासन-मुद्रा में तथा 13 प्रतिमायें 'कायोत्सर्ग-मुद्रा' में अंकित है। एक कायोत्सर्ग-मुद्रावाली प्रतिमा का पाषाण ही शेष नहीं है, किन्तु इतरभाग की रचना से उसके विद्यमान रहने का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। यह फलक पश्चिमाभिमुख एक लाल दीवाल में खचित है। प्रस्तुत फलक में बहत्तर प्रतिमाओं का अंकन बहत्तर कलाओं का प्रतीक है। कहा भी जाता है- “कला बहत्तर पुरुष की, तामें दो सिरदार । एक जीव की जीविका, एक जीव-उद्धार।।" ___ इस दोहे के आलोक में कहा जा सकता है कि इस फलक के माध्यम से शिल्पकार ने भव्य जीवों को यह समझाने का प्रयत्न किया है कि प्रत्येक संसारी संसार में में संसरण करता हुआ जीविका का ध्यान रखता है; किन्तु वे जीव धन्य हैं, जो अपना आत्मोद्धार किया करते हैं। आत्मोद्धार ही श्रेष्ठ कला है। जो पुरुष उसमें पारंगत हैं, वे ही इस संसार-सागर से पार हुए हैं। __ प्रस्तुत फलक में यद्यपि आज बहत्तर प्रतिमाएं हैं; किन्तु फलक की रचना से तिहत्तर प्रतिमाओं के होने का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। ऊपर भाग में दायीं ओर मध्य में एक पदमासनस्थ और उसकी दोनों और एक-एक कायोत्सर्ग-मुद्रा में अंकित प्रतिमा से इसी क्रम में ऐसी ही तीन प्रतिमाएँ बायीं और भी रही हैं। इस ओर के शिलाखण्ड का छोर लगता है टूट गया है, जिस भाग में एक कायोत्सर्ग-मुद्रा' में अर्हन्त- प्रतिमा अंकित रही है। इस फलक में मूलनायक प्रतिमा जीवोद्धार कला की तथा शेष प्रतिमाएँ बहत्तर कलाओं की सूचक हैं। ___ यह फलक एक छोटी लाल पत्थर से निर्मित दीवार पर पश्चिमाभिमुख खचित है। ऐसे अवशेष शीत, धूप और वर्षायों से संभावित हानियों से सुरक्षित रखे जाना चाहिये। आशा है किसी सुरक्षित भवन में उन्हें स्थान दिया जायेगा। दिव्यध्वनि 'केरिसा सा 'दिव्वझुणी' सव्व भासासरूवा अक्खराणक्खरप्पिया, अणंतत्थ-गब्भबीयपदधरिय-सरीरा।।' -(आचार्य वीरसेन, जयधवल, भा० 1, पृ0 116)। अर्थ:—वह दिव्यध्वनि किस प्रकार की है? वह सर्व भाषास्वरूप है। अक्षरात्मक, अनक्षरात्मक है; अनंत अर्थ हैं गर्भ में जिसके ऐसे बीजपदों से निर्मित शरीरवाली है अर्थात् उसमें बीजपदों का समुदाय है। ** प्राकृतविद्या अक्तूबर-दिसम्बर'98 0073
SR No.521353
Book TitlePrakrit Vidya 1998 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year1998
Total Pages128
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Prakrit Vidya, & India
File Size3 MB
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