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प्राकृ तद्वद्याश्रयमहाकाव्यम्
रय
- संमड्ड - सम-हरो कवड्डि- सिर- सरिअ-सलिल-सीअलओ । लंघिय - गड्डहवाहण-पुरो मयण - गद्दहिअ - लोओ ॥१०॥ मलयाचल - कण्डलिआ - आउह - सालाउ भिण्डिवालो व्व ठड्ढेण वुड्ड-जग-जय- छिहाइ गहिओ महु-भडेण ||११|| दड्डोज्जीविअ-मयणो विरहिणि- नीसास- वुड्डि- परिविद्धो । अविअड्ड-असड्ड-अणिड्डीणं पि विइण्ण - रइ - सद्धो ॥१२॥ रिद्धि पत्तो कम्पिअ- लवली - मुड्ढो वसन्त - -मुद्धन्नो । अड्ढद्धीकय-माणिणि-माणो पज्जुण्ण - दिण्णाणो ॥१३॥ पण्णास-गुणं मयणं पण्णरह - गुणं महुं च पयडन्तो । मन्तुमइ - मन्नु - दलो समत्त-लय-तम्ब - वित्थरणो || १४ || अविरहि-विरहि-थवातव-पत्तं पल्लत्थ - लयमपल्लट्टो । उच्छाहकरोणुत्थारयाण मलयाणिलो वाऊ ||१५|| भमरालिद्धे झसचिन्धय-चिन्हे आसि सिन्दुवारम्मि । भस्सिय-झसिन्ध - जीवाउ - भप्प - चुन्नं किर पराओ ||१६|| अप्पाणत्ता मुक्को भरियप्प - पिएहि पहिअ - सत्थेहिं । कंकिल्लि - कुम्पलं रुप्पिणि-सुअ-बाणं व दट्ठूण ॥१७॥ रुच्मि-निव-सरिस-जोव्वण - गुणेहि तस्सि कया जुआणेहि । पुप्फअ-असोअ - विपिणे परोप्पर - प्फद्धमन्दोला ॥१८॥ सो वि बुहप्फइ - सीसो बुहप्पई सो वि तत्थ ओच्छरिओ । निप्पहिअ-तिअस-लीलं दोला-लीलोसवं दट्टु ॥१९॥ विरहिअ - भिप्पं असिलिम्ह - कण्ठयं विगय- सेफ - कण्ठेहिं । तम्बम्ब-दलोत्तंसं दोलिर - तरुणीहि अह गीअं ॥२०॥ अखलिअ - जिब्धं पइ - नाम पुच्छिआ तत्थ खलिअ - जीहाओ । मय-विहलाहिं मय - भिब्भलाओं लट्ठीहि विब्भलिआ ॥ २१ ॥ उब्भमणुद्धं च ठिआ दोलासुं विज्ज - विजिय-कम्हारा । कम्भारजम्म- पीवल-कर- जुग्गय-चरण- - जुम्माओ ॥२२॥ कय- बम्भचेर-भंगा सुन्देरेणं स - बम्हचरिआण । चल - नेउर-जय- तूराहिअ - सर - सोडीर - धीराओ ॥२३॥
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