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रङ्गमञ्चः
नवसंवेदनाश्रितं लघुरूपकम् क्रीतानन्दम्
प्रा. अभिराजराजेन्द्रमिश्रः
॥ कथासार ॥ क्रीतानन्दम् अर्थात् खरीदा गया आनन्द, सुख । आनन्द और सुख को प्राप्त करने के लिये आदमी क्या नही करता ? सुख मिलना चाहिये, चाहे पाप मार्ग से मिले, चाहे पुण्यमार्ग से ! इस व्यापार में सबकी स्थिति एक जैसी है - हवालाकाण्ड के महानायक हर्षद महेता और नई-नई युक्तियों से भीख माँगने वाले यायावर, सब एक जैसे हैं। ... बहरहाल, प्रस्तुत लघुरूपक के आनन्दस्रोत एक दम्पती हैं जो अपने को राजस्थान से आया हुआ बताते हैं। महिला अपने जीवित पति को बनारस शहर की एक खुली जगह में, सफेद चद्दर से ढंककर, उसे अकस्मात् मरा बताकर, दहाड़ मार-मार कर रो रही है और दर्शक जनता से अपने मृतपति का दाहसंस्कार करने हेतु चन्दा मांग रही है। लोग उसके प्रति सदय हैं, उसके दुःख से दुःखी हैं तथा यथाशक्ति उसकी सहायता भी करते हैं। ___ इन्हीं दर्शकों में सोम भी हैं जो नगरनिगम का एक अधिकारी है। वह भी महिला के करुण-क्रन्दन से बेहद प्रभावित होता है और उसे सांत्वना देते हुए ढाढस बधाता है कि उसके मृतपति के दाह-संस्कार का प्रबन्ध वह कुछ ही क्षणों में नगरनिगम की ओर से सम्पन्न करायेगा । वह महिला को वहीं बनी रहने को कहता है तथा स्वयं कार्यालय चल पड़ता है, डोक्टर तथा निगम का वाहन लाने के लिये !
, परन्तु सोम की इस सान्त्वना से काँप उठती है भीख बटोरने वाली महिला । जैसे ही भीड़ छंटती है वह चुटकी काटकर पति को जगाती है और दोनों बनारस की घनी गलियों में चम्पत हो जाते हैं। ____ कुछ देर बाद सोम पुनः लौटता है नगर-निगम की गाड़ी से । उसके साथ कार्पोरेशन का डोक्टर भी है - मृत्यु का प्रमाणपत्र देने के लिये । परन्तु यह क्या? वह स्थान तो एकदम सुनसान है, महिला और उसका मृत पति – दोनो नदारद हैं।