________________
किं कार्यं हा ॥९१॥ शोकोऽमेऽयम् ॥१२॥ श्लौकी मुद्राम् ॥१३॥ तूर्णं यातः ॥९॥ भूयो नव्यम् ॥१५॥ काव्यं जातम् ॥९॥
जातो नव्यः ॥९७॥ वाल्मीकि ः ॥९८॥ श्रीवृत्तैर्यो ॥९९॥ ग्रथनातीदम् ॥१००॥ नूनं काव्यम् ॥१०॥ प्राचां तुष्ट्यै ॥१०२॥
॥ इति श्रीमत्रिवेणीकविनाऽभिराजराजेन्द्रेण विरचितम् ॥ श्रीशतकमवसितम्
Teacher's Colony Lower Summer Hill
SHIMLA.(H.P.)