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प्राकृतश्याश्रयमहाकाव्यम्
सरउग्गय-मय-लंछण- सरिच्छ-वयणाओ वार- - जुवईओ । चामर - दप्पण - हत्था अकास - कन्ती किसंगीओ ॥७८॥ मत्तेभ-मउअ-गमणे तस्सि माउक्क - आसणासीणे । माउक्के अमउत्ते वि सुइ-गिराणं फुड - गिरेहिं ॥ ७९ ॥ आसंसिअं दिएहिं किवालु - हिअओ हवेहि महि-वट्ठे । तुह पिट्ठ-चरा देवा हवन्तु नागा वि पट्ठ- चरा ॥८०॥ अह खग्गि- सिङ्ग - पत्ते मसिणे मसणेण चन्दणेण गहे । अच्चि राय-मयंको अकासि तिलयं मिअंक- निहं ॥८१॥ मिच्चु - अवमच्चु - हरणे दिजे विसज्जिअ निसामिआ तेण । रिउ - संग-भंजणेणं धिट्ठाधट्ठाण विन्नती ॥८२॥
पुहवीस- उउ - वसन्तो निवुत्त-तिलय क्खाणो कलि- नित्तो । वन्दारय- वुन्दारय- समो पयट्टो तिहिं सोउं ॥ ८३ ॥ निव-उसहो दिय-वसहे पिउ - कम- माउ-हर- आगए तत्तो । दाणेण तप्पिऊणं संपत्तो माइ - हरयम्मि ॥८४॥ माईण अमोसासीसयाण राया अमूस - परिवारो । अमुसा - वाई वुट्ठो धण- वुट्ठी- रयण-विट्ठीहिं ॥८५॥ विट्ठ-घणनिम्मलेणं देवाणं पिहय पुहय देवीणं । तेणादिट्टं गीअं मुइंगि-कर-ताडिय-मिइंगं ॥८६॥ कुल- जरईणं नत्तिअ-नत्तुअ - सहिआण सो वसु अदासि । धरणि- बिहप्फइ - सीसो बुहप्फइ - सरिच्छ - गुरु- पुरओ ॥८७॥ सो कुसुम - विण्ट- तिक्ख-प्पण्णाइ बहप्फइ व्व लच्छीए । काही पूअं सह-वेण्ट-फलेहिँ स- वोट- फुल्लेहिं ॥८८॥ रिद्धि-हय- अणत्त - रिणो राय - रिसी धणुह - वेअ - राम- इसी । रिज्जू सहुज्जुएहिं नर-उसहेहि चलिओ निवइ - रिसहो ॥ ८९ ॥ सो वसन्त- रिउ - सरि- विलासओ तह य गिम्ह - उउ - सरिस - लीलओ । महुर-तिव्व- तेआसरिच्छओ सम-हरं दरिअ - आढिअंगओ ॥९०॥
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