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________________ ११० x X X जोव्वण सम्म ग्गणं अवियहुम्माहिय व्व चिरस्स पत्ता रह-कल्ला घरिणी भागीरही मज्झे कमेण चक्कायय ब्य रमिमो तो चंद- रइय-तिलका तारोवयारद्दारा नावाए तीए वुब्भता । माणुस - चक्कायका अम्हे ॥ ८९६ जोन्हा - परिसह पंडुर- दुकूला । रक्ती - जुवती अइक्कंता ॥ ८९७ चउजाम- तरंग - नोल्लिय- सरीरो । गयण- सरस्स मियंको (?) पुव्वोसरिओ अवरं तरणं काउं व ससि हंसो ॥ ८९८ X X × । पाणिग्गहण कथं तेण ॥८९४ पडिवुद्ध-हंस-सारस कारंडव चकवाय रइएहि xx गायजंपिया (?) विव पुन्न मणेरह-तुट्ठा अम्हे वि गया तो भइ पिययमो मं न हु किर जुत्तो दिट्ठेक्कमक्क परितुट्ठा । माणुस - सुहाणं ।। ८९५ तो दिवस कम्म-सक्खी सूरो उट्ठेइ तिमिर पडिसूरो । गणगणग्ग-जालो जीवलोगस्स ॥ ९०० ओलोगो जमिणं दक्खिण- कूले वच्चामो तत्थ सहरं तो सो ततोहुतो नावं नीविइमाणं ( 2 ) 1 पहाय मुहरेहिं कुररेहिं ॥। ८९९ रहंग-नोमय - विहंग - सण | दूरं भागीरहि- पाणिय-रएण ॥९०१ वेला मुह-धोयणम्मि पिहु-सोणि । उदए रविणो काउं रइ-पसंगो ॥९०२ पुलिणं संख-दल-निम्मलं बाले । चोए (?) रमामो सुहं सुयणु ॥ ९०३ * अवलोयण - जंत-जोइय-गुणेणं । गमण-सुदक्खं पिओ नेइ ॥९०४ इ-वायाम-किलंताई उत्तिष्णाई दुवे विणावाय । गगाए धवल-वालय अपरिक्खिय-सीयले सहसा तत्थेक्कमेक- दंसिय-रमणिज्ज- देस-पेच्छण-पसत्था अमुणिय-भय-वी सत्था गंगा गहण तडुबाइए हिं जम- पुरिस-रोस - फरुसिय-सा मे हिं अवयासेऊण पियं इय जाए दुज्जाए पुलिणे ॥९०५ चोरेहि उ दिट्ठा ॥९०६ आविद्ध- विध-पट्टे । परिवारिया अम्हे ॥ ९०७ भणामि भय- विरस - विस्सर- परुण्णा । भण कंत कहूं नु कायव्यं ॥ ९०८ 883 तरंगलाला
SR No.520755
Book TitleSambodhi 1976 Vol 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1976
Total Pages416
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size12 MB
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