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श्रीश्रीश्री जू देव हजूर
खातर लिखाय देवें में आई श्रीसिंघई हजारी बकस्वाहे बारे को आपर परगने बकस्वाहे के मौजे मनागिर को आबाद करने व जात्रा लगवाने की व अपने मान मुलाहजा बहाल रिहवे मध्ये खातर लिख जैवे कि दरख्वास्त करी ताकि दरख्वास्त मंजूर भई मजकूर को अछीतरा आबाद करौ अरु जात्रा लगवावों जो मान मुलाहजौं इहां से बनौ रहौ सो बदस्तूर बनो रेहै नये सिर जास्ती कौनहु तरा न हू हैं और मौजे मजकूर की खबरदारी अछीतरा राखियौ जीमें कौनहू तरा को नुकसान सरहद के भीतर जमीन की न होने पावे। बैशाख सुदी १५ सं. १९४२ मु. पन्ना।
सील
उक्त सनद के बाद से यहाँ प्रतिवर्ष अगहन सुदी १३ से १५ तक मेला लगता है।
जनता-जनार्दन की सुविधा के लिए यहाँ जो तालाब बना है, उसे लेकर भी अनेक राजाज्ञाएँ जारी हुई थीं, किन्तु अब इनके परिपालन पर कोई ध्यान नहीं देता है। राजाज्ञाओं के प्रमुख मुद्दे थे-मछली नहीं मारना, मवेशी को न नहलाना, खदान-पत्थर की माफी; बाँस और जलाऊ लकड़ी की माफी, इत्यादि। देखा जाए तो इन पुरानी राजाज्ञाओं को आज अधिक प्रभावशाली बनाने की आवश्यकता है, क्योंकि रोज़-ब-रोज़ यात्री-संघ यहाँ आते हैं और उन्हें अशुद्ध जल ही मिल पाता है। रोग फैलने की भी आशंका रहती है; अतः यदि लोककर्म, स्वास्थ्य तथा पुरातत्त्व विभाग इस ओर संयुक्त ध्यान दें तो इस सांस्कृतिक विरासत-रूप तीर्थ का पुनरुद्धार हो सकता है। वर्तमान में यहाँ तीन धर्मशालाएँ हैं, एक अच्छा प्रवचन-पण्डाल निर्माणाधीन है, तथा तीर्थक्षेत्र समिति अन्य-अनेक सुविधाओं का विस्तार करने जा रही है।
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आ..वि. सा. अंक
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