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________________ 559 बालक विद्याधर से + जन्म-स्थान : सदलगा, जिला-बेलगांव __ (कर्नाटक) पितृनाम : श्री मल्लप्पाजी (मनि मल्लिसागरजी) मातृनाम : श्री श्रीमतिजी (आर्यिका समयमतिजी) भाई : अन्य तीन भाई (दो भाई क्षुल्लक दीक्षित) बहिन : दो बहिनें (दोनों आर्यिकाएँ) शैशव : विद्याधरजी जाति : चतुर्थ जैन गोत्र : अष्टगे शिक्षण : हाईस्कूल तक मराठी माध्यम से मातृभाषा : कन्नड़ प्रवचन : हिन्दी लेखन :हिन्दी, संस्कृत मुनि-दीक्षा : आषाढ़ सुदी ५ संवत् २०२५ (३० जून, १९६८) आचार्य-पद : मगसिर कृष्ण २, संवत् २०२९ (२२ नवम्बर, १९७२) गुरु-परम्परा १. चारित्र-चक्रवर्ती आचार्य श्री शान्तिसागरजी बालक विद्याधर ऐसा नहीं लगता कि इस बालक में २. आचार्य श्री वीरसागरजी कहीं-कोई आचार्य पद्मासनी मद्रा में बैठा ३. आचार्य श्री शिवसागरजी ४. आचार्य श्री ज्ञानसागरजी है। गोल चेहरा । झब्बर केश । तंग निकर।। अंग्रेजी काट की कमीज़ । कन्धों के आर ५. आचार्य श्री विद्यासागरजी पार टंगा बस्ता । पाँव मे जूते, किन्तु हर उनके शिष्य क़दम में दृढ़ता और गंभीरता। १. क्षुल्लक श्री नियमसागरजी २. ऐलक श्री योगसागरजी जीवन-झांकी ३. क्षु. श्री समयसागरजी ४. क्षु. श्री चन्द्रकीर्तिजी जन्म-तिथि : मगसिर शुक्ल १५, (नैनागिरि में समाधिमरण) वि. सं. २००३ ५. क्षु. स्वरूपानन्दजी ५० आ. वि. सा. अक Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520604
Book TitleTirthankar 1978 11 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Jain
PublisherHira Bhaiyya Prakashan Indore
Publication Year1978
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tirthankar, & India
File Size6 MB
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