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________________ निराकुलता ( बोधकथा ) : नेमीचन्द पटोरिया, नव. - दिस., पृ. ३ (आवरण) । 'निराली पहचान' : अब कहाँ ? (संदर्भ, 'तीर्थंकर' का) : दिनकर सोनवलकर, मई, पृ. २८ । निरंजन शतकम् : आचार्य विद्यासागर, समीक्षा, सितम्बर, पृ. २८ । नैनागिरि खुलते हैं जहाँ अन्तर्नयन : सुरेश जैन, नव- दिस, पृ. ६३ । पण्डित / अपर नाम / गृहस्थाचार्य पं. नाथूलाल शास्त्री, जून, पृ. १९ । पण्डित / आइने में : 'प्रलयंकर', जून, पृ. १०३ । 'पण्डित' : इबारत की खोज : जून, पृ. ८६ । पण्डितजी / एक खुली पुस्तक : प्रो. जमनालाल जैन, जून, पृ. २८ । पण्डितजी बनाम 'पंडज्जी' : सुरेश 'सरल', जून, पृ. ८७ । पण्डितजी ( नाथलाल शास्त्री ) : जीवन-झाँकी: जून, पृ. ४३ । : पण्डित, नहीं ज्ञानी ब्र. कु. कौशल, सितम्बर, पृ. ३१ । पण्डित - परम्परा और जैन गणित-विज्ञान प्रो. लक्ष्मीचन्द्र जैन, जून, पृ. ७३ ॥ पण्डित-परम्पराः गतिरोध और नवभूमिका : डॉ. भागचन्द्र जैन 'भास्कर', जून, पृ. १२७ । पण्डित - परिभाषा ( कविता ) : दिनकर सोनवलकर, जून, पृ. - 'पण्डित' : परिभाषा की तलाश : डॉ. प्रेमसुमन जैन, जून, पृ. १११ ॥ पं. सुखलाल संघवी : जून, पृ. १४२ । पथ के आलोक : सं. यशपाल जैन, समीक्षा, जून, पृ. १५३ । परीलोक, बुद्धिलोक : मुनि सुमेरमल, समीक्षा, मार्च, पृ. २७ । पाँव की आँख : संपादकीय, जून, पृ. ५। पाण्डित्य के साथ चारित्र भी एलाचार्य मुनि विद्यानन्द, जून, पृ. २३ ॥ पुरुष नहीं बोलेंगे, मौन नहीं खोलेंगे; संप्रति अवश्य गूंगा ( कविताएँ ) : आचार्य विद्यासागर, जन. - फर., पृ. ५१। पूर्णा ( मराठी ) सं. पं. सुमतिबाई शहा, समीक्षा, जुलाई, पृ. २८ । प्रकाश-स्तम्भ : डॉ. प्रकाशचन्द जैन, जून, पृ. ३५ । प्रवचन- निर्देशिका: आर्यिका ज्ञानमती, समीक्षा, नव. - दिस., पृ. १०२ । प्रश्न भी स्वाध्याय भी नव दिस, पृ. ४ (आवरण) Jain Education International प्राकृत स्टडीज ( अंग्रेजी, १९७३, प्रोसीडिज़ ऑफ सेमीनार ऑन) सं. डॉ. के. आर. चन्द्रा, मार्च, पृ. २५ । : प्रार्थना / इन्सान की हमदर्दी का स्वर ( कविता ) : दिनकर सोनवलकर, मई, पृ. १२ । प्रेम का अभाव ही है नरक : भानीराम 'अग्निमुख', नव. - दिस., पृ. ७३ । फिसलते सामाजिक यथार्थ : संपादकीय, जुलाई, पृ. ३ । फैसला आप दें : बनवारीलाल चौधरी, अक्टूबर, पृ. २१ । : बचें हम प्रश्नों की भीड़ से डॉ. कुन्तल गोयल, नव - दिस., पृ. ८१ । बन्द रे तीरथ नैनागिरि ( वन्दना-गीत) : कैलाश मड़बैया, नव. - दिस., पृ. १ (आवरण) । पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री : जैसा देखा जैसा सुना : जुलाई, पृ. ३ (आवरण) । श्रीकान्त गोयलीय, जुलाई, पृ. ११ । बाबू बाबाजी की याद में ( डॉ. सीतलप्रसादजी ) : अयोध्याप्रसाद गोयलीय, नव. - दिस., पृ. ६७ । बालक विद्याधर से आचार्य विद्यासागर : नवदिस., पृ. ५० । बापू का पथ : सं. यशपाल जैन, समीक्षा, जून, प. १५३ । बुन्देलखण्ड यात्रा की दो बड़ी उपलब्धियां: श्रेयांसप्रसाद जैन, नव. - दिस., पृ. ६१ । बूंद-बूंद से घट भरे : जून, पृ. ३ (आवरण); ब्र. पं. चन्दाबाई : जून, पृ. १४४ । भगवान् महावीर : सेवा आज के संदर्भ में (टिप्पणी) : राजकुमारी बेगानी, मार्च, पृ. २३ । भारतवर्ष नामकरण, इतिहास आणि संस्कृति ( मराठी ) : जिनेन्द्रकुमार भोमाज, समीक्षा, अगस्त, पृ. २५ । भेंट, एक भेदविज्ञानी से डॉ. नेमीचन्द जैन, नव- दिस., पृ. ३८ । भेंट-स्वरूप केवल नारियल : कोमलचन्द वकील, जून, पृ. ३० । मन की कृपणता ( कविता ) : दिनकर सोनवलमई, पृ. १२ । कर, मरा है कोई और ( बोधकथा ) : डॉ. महेन्द्रसागर प्रचण्डिया, मार्च, पृ. १ (आवरण) । मल्हार ( काव्य ) : राजकुमारी बेगानी, समीक्षा, अप्रैल, पृ. ४१ । For Personal & Private Use Only तीर्थंकर : अप्रैल ७९/५१ www.jainelibrary.org
SR No.520604
Book TitleTirthankar 1978 11 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Jain
PublisherHira Bhaiyya Prakashan Indore
Publication Year1978
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tirthankar, & India
File Size6 MB
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