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कैसी भमिका? (पण्डितः भा
जैन पारिभाषिक शब्दों के अंग्रेजी पर्याय जमनालाल जैन, जून, पृ. १३१ ।
(टिप्पणी) : केशरीमल जैन, जन.-फर., पृ. ४६ । ___ कारा ! (कविता): कन्हैयालाल सेठिया, जैन प्रार्थनाएँ: सं. प्रो. कमलकुमार जैन, समीक्षा, जन.-फर., पृ. १ (आवरण)।
मार्च, पृ. २६ । ___ गहन व्यक्तित्व की तलाश (कविता): दिनकर जैन विद्या : विकास-क्रम कल, आज : डॉ. सोनवलकर, मई, पृ. ११।।
राजाराम जैन, (१) जुलाई, पृ. १७; (२) अगस्त, गुरु : एक आवश्यकता : कन्हैयालाल सरावगी, पृ. १५; (३) सितम्बर, पृ. २२; (४) अक्टूबर, जून, पृ. ७६।
पृ. २७; (५) नव.-दिस., पृ. ८६; (६) जन.गुरुवर्य पं. गोपालदास बरैया : जून, पृ. १३८ ।
फर., पृ. ४७; (७) मार्च, पृ. १६; (८) अप्रैल,
पृ. ३० । गुस्ताखी मुआफ : 'प्रलयंकर', अगस्त, पृ. १ (आवरण); सितम्बर, पृ. १ (आवरण);
__जैन शासन में निश्चय और व्यवहार : पं. वंशीअक्टूबर, पृ. १, (आवरण)।
धर व्याकरणाचार्य, समीक्षा, नव.-दिस., पृ. १०२ । __ चर्चा/ एलाचार्य मुनिश्री विद्यानन्दजी से : डॉ.
जैन साधु की चर्या : डॉ. देवेन्द्रकुमार शास्त्री,
नव.-दिस., पृ. १५। नेमीचन्द जैन, मार्च, पृ. १४ । चालीस वर्ष और सिर्फ चार आने (बोधकथा) :
___ जो हँसने से रोके तोड़ें, ऐसी परम्पराएँ (कविता)
कल्याणकुमार 'शशि', जन.-फर., पृ. ४१ । नव.-दिस., पृ. १००।
___टूटने का सुख, जुड़न की व्यथा : संपादकीय, छोटी चट्टान, बड़ी चट्टान (बोधकथा) : विजय
मई, पृ. ३। कुमार जैन, जुलाई, पृ. १६ ।
ट्रेजर्स ऑफ जैना भण्डार्स (अंग्रेजी) : सं. उमाजंगली कहीं के (बोधकथा) : कल्याणकुमार कान्त पी. शाह, समीक्षा, मार्च, पृ. २५ । 'शशि,' अप्रैल, पृ. ४८ ।।
डॉ. आदिनाथ नेमिनाथ उपाधं जड़ें कुतरते चूहे : संपादकीय, अगस्त, प्र. ३। १४८ ।
जनेऊ और जहर (बोधकथा) : नेमीचन्द पटो- डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री ज्योतिषाचार्य : जून, पृ. रिया, जुलाई, पृ. १ (आवरण)।
१५०। जय वर्धमान (नाटक) : डा. रामकुमार वर्मा,
डॉ. हीरालाल जैन : जून, पृ. १४६ । समीक्षा, अप्रैल, पृ. ४२।
णमो लोए सव्वसाहणं : पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री, जिनवाणी का सार-आचार, जून, पृ. ४ (आवरण)
नव.-दिस., पृ. ६।
__ तीर्थयात्रा : डॉ. पन्नालाल जैन साहित्याचार्य, जिन्दगी/का/ एक दिन : डॉ. कुन्तल गोयल, मार्च, पृ. ५।
नव.-दिस., पृ. ५६ । जीवन : हरा हर पल, भरा हर पल : डॉ. तू हाँसे जग रोये : कन्हैयालाल सरावगी, जन.. कुन्तल गोयल, जन.-फर., पृ. ३७ ।
फर., पृ. २१। जीवन्त प्रतीक : पूनमचन्द गंगवाल, जून, पृ.
__ तेरा-मेरा मनुवा कैसे एक होय रे ? : डॉ. राम
चन्द्र बिल्लोरे, जून, पृ. १०६ । जुलूस : आदमियों के रूप में घास-फूसः सुरेश ___ त्याग की प्रतिमूर्ति : सत्यंधरकुमार सेठी, जून, 'सरल', मई, पृ. १ (आवरण)।
पृ. ३६ । जैन आयुर्वेद साहित्य की परम्परा : डॉ. तेजसिंह ___दहेज : दान से गुप्तदान : राम अवतार अभिगौड़, समीक्षा, मार्च, पृ. २६ ।
लाषी, अगस्त, पृ. ७ । जैनधर्म में दान : पुष्कर मुनि, समीक्षा, मई, धर्म भी, रंजन भी (संदर्भ 'तीथंकर' का) : पृ. ३३।
श्रेयांसप्रसाद जैन, मई, पृ. २८ । * जैन पण्डित-समाज : पं. दलसुख मालवणिया, नये युग के मंगलाचरण : बाबूलाल पाटोदी, जन, पृ. ६६।
जून, पृ. ३६ । ___ जैन पत्र-पत्रिकाएँ : पहला पुरखा-जैन दीपक : नहीं जाऊँगा, नहीं जाऊँगा, नहीं जाऊँगा (बोधपं. दलसुख मालवणिया, जुलाई, पृ. ५।
कथा) : नेमीचन्द पटोरिया, अक्टूबर, पृ. १६ । ___ जैन परम्परा में पण्डित और उनका योगदान : नारी-विद्रोह : क्यों, कैसे, कितना?: कु. अर्चना पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री, जून, पृ. ६५।
जैन, जुलाई, पृ. २१ ।
३५।
तीर्थंकर : अप्रैल ७९/५०
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