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वह लाजवाब है
(एक शब्दचित्र)
साम्प्रदायिकता से वह परे है संकीर्णता के घेरों से मुक्त है
वह मुनिगण-मुकुट है उसका कोई जवाब नहीं वह लाजवाब है वह सैकड़ों में अकेला है अलबेला है उसका कोई जोड़ नहीं वह तो बस वह ही है
वह भला है भोला है भद्र भावों से भरा है खरा है वदन का इकहरा है छरहरा है उम्र से जवान है साधक महान् है भूखा है ज्ञान का शत्रु है अभिमान का भुलावों से दूर है तपश्चरण में शूर है
वह आत्मजयी है आत्मकेन्द्रित है नासादृष्टि है निजानन्द-रसलीन है मोह-माया-मत्सर-विहीन है उसे लुभाती नहीं है बाहरी दुनिया की चमक उसके स्वभाव में है एक स्वाभिमानी की ठसक उसके सबसे बड़े गुण हैंअनासक्ति और निःस्पृहता क्षमाशीलता और समता निर्ममता और निर्भयता
उसका चिन्तन मौलिक है उसकी वार्ता अलौकिक है विचारों में उदारता है प्रामाणिकता है शालीनता है सर्वजनहितैषिता है
वह आलोक-पुंज है ज्ञान-दीप है ज्योति-पुरुष है विराजी रहती है प्रतिक्षण उसके चेहरे पर एक निर्मल-निश्छल मुस्कान उसकी हर छवि है अम्लान उसका नहीं है जवाब वह है लाजवाब
- नरेन्द्रप्रकाश जैन
आ. वि. सा. अंक
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