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________________ समाचार-परिशिष्ट समाचार : शीर्षक-रहित, किन्तु महत्त्वपूर्ण -आचार्यश्री तुलसी ने तेरापंथ धर्मसंघ -श्री पार्श्वनाथ दि. जैन मन्दिर, लक्ष्मीके ११५ वें मर्यादा-महोत्सव के अवसर पर नगर,नई दिल्ली के नवीन भवन की आधारलगभग पच्चीस हजार भाई-बहनों की शिला-समारोह पर आयोजित दि. जैन उपस्थिति में अपने विद्वान् शिष्य मुनिश्री महासमिति केन्द्रांचल सम्मेलन १८ फरवरी नथमलजी को अपना उत्तराधिकारी घोषित को आयोजित किया गया, जिसमें श्री दि. किया । मुनिश्री हिन्दी, संस्कृत एवं प्राकृत जैन समाज, लक्ष्मीनगर द्वारा श्री श्रेयांस के मनीषी विद्वान तथा लेखक हैं । हिन्दी में प्रसाद जैन को अभिनन्दन-पत्र भेंट किया उनकी अब तक लगभग १०० पुस्तकें गया । प्रकाशित हुई हैं। ज्ञातव्य है, दिसम्बर, '७८ ___ -त्रिदिवसीय जैन साहित्य-समारोह में आचार्यश्री तुलसी ने मुनिश्री को महाप्रज्ञ महुवा (भावनगर-गुजरात) स्थित बालाश्रम की उपाधि से विभूषित किया था। के प्रांगण में गत २ फरवरी, ७९ को जैन -मुनिश्री रूपचन्द्रजी को अमेरिका की। दर्शन और साहित्य के अध्ययन, अध्यापन मिशिगन इन्स्टीट्यूट ऑफ रिलीजन एण्ड एवं शोध में समर्पित समर्थ विद्वान् डॉ. कल्चर संस्थान ने 'डिवाइन लाइट' (दिव्य दलसुखभाई मालवणिया की अध्यक्षता में ज्योति) पुरस्कार से सम्मानित किया है। आयोजित किया गया, जिसका उद्घाटन संस्थान ने इससे पूर्व स्वामी विवेकानन्द को डॉ. हरिवल्लभ भायाणी ने किया। इस सम्मान से समादृत किया था, मुनिश्री दूसरे भारतीय हैं। स्मरणीय है, मुनिश्री ___-सिद्धान्ताचार्य पं. कैलाशचन्द्रजी शास्त्री का बी. बी. सी. से जो 'धर्म और यथार्थ' पर (वाराणसी) के अभिनन्दन के लिए एक समिति गठित की गयी है। समारोह के अन्तर्गत अभिनन्दन-ग्रन्थ का प्रकाशन और स्वरूप यह सम्मान प्रदान किया गया है। जैन विद्या-संगोष्ठी का आयोजन किया -मुनिश्री सुशीलकुमारजी के लगभग जाएगा। तीन वर्ष के अमेरिका, कनाडा और यूरोप के कतिपय देशों के प्रवास के बाद ___-श्री दि. जैन त्रिलोक शोध संस्थान, ४ मार्च, ७९ को भारत आगमन पर नई हस्तिनापुर (मेरठ) में आचार्य श्री वीरदिल्ली में स्वागत-समारोह आयोजित सागर शोध विद्यापीठ एवं आर्यिकारत्न किया गया है। श्री ज्ञानमती महाविद्यालय की स्थापना जुलाई, ७९ से की जा रही है। विस्तृत ___-श्री चम्पापुर दि. जैन सिद्धक्षेत्र की जानकारी के लिए उपर्युक्त पते पर संपर्क पंचकल्याणक प्रतिष्ठा के अवसर पर ३० कर सकते हैं। जनवरी को आर्यिका श्री सुपार्श्वमतिजी के सान्निध्य में अ. भा. दि. जैन तीर्थक्षेत्र -आचार्य श्री विद्याचन्द्रसूरिजी की कमेटी, बम्बई का अधिवेशन संपन्न हुआ। प्रेरणा से श्री मोहनखेड़ा तीर्थ, राजगढ़ तीर्थ-क्षेत्रों की रक्षार्थ संकल्पित एक करोड़ (धार) में नेत्र चिकित्सालय भवन के के ध्रुवकोष की पूर्ति हेतु दान की प्रेरणा निर्माण का निश्चय किया गया है । आचार्यआर्यिकाश्री ने दी, जिसका काफी प्रभाव श्री की प्रेरणा से यहाँ ग्रीष्मावकाश के पड़ा। पश्चात् जैन आगम, संस्कृत एवं प्राकृत का विश्व तीर्थकर : मार्च ७९/२८ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520604
Book TitleTirthankar 1978 11 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Jain
PublisherHira Bhaiyya Prakashan Indore
Publication Year1978
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tirthankar, & India
File Size6 MB
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