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संदर्भ : दिग. जैन पण्डित
जैन विद्या : विकास क्रम / कल, आज ( ७ ) श्वेताम्बर समाज एवं साहित्य सेवा जैन प्राकृत भाषा एवं जैन विद्या
परस्पर शास्त्रार्थ संस्कृत - साहित्य
- डॉ. राजाराम जैन
समय-समय पर किसी गंभीर विषय पर जैन विद्वानों में परस्पर शास्त्रार्थ हुए हैं। जिनके प्रमुख विषय धवला का 'संजद' पद तथा 'निमित्त एवं उपादान' प्रधान रूप से माने जा सकते हैं । ऐसे शास्त्रार्थी विद्वानों में डॉ. हीरालाल जैन, पं. हीरालाल शास्त्री, पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री, पं. फूलचन्दजी, पं. बंशीधरजी बीना, पं. रामप्रसादजी शास्त्री, बम्बई आदि प्रमुख हैं । इस प्रकार के शास्त्रार्थ -ग्रन्थों के प्रकाशनों में 'खानिया - तत्त्वचर्चा' एवं 'संजद शब्द: विरोध परिहार' आदि प्रमुख हैं । श्वेताम्बर समाज एवं साहित्य की सेवा
दिग. जैन समाज में कुछ ऐसे भी विद्वान् हैं, जो परिस्थितिवश श्वेताम्बर जैन समाज के बीच में रहे तथा वहाँ यथोचित सम्मान पुरस्कार मिलने के कारण वे उनमें बुल-मिल गये । ऐसे विद्वानों में पं. मूलचन्द्रजी शास्त्री ( मालथौन ) एवं पं. शोभाचन्द्रजी भारिल्ल प्रमुख हैं। पं. मूलचन्द्रजी शास्त्री के विषय में पिछले प्रकरण में चर्चा हो चुकी है। पं. शोभाचन्द्रजी भारिल्ल (सागर) श्वेताम्बर साधु एवं साध्वियों को ब्यावर के एक गुरुकुल में अर्धमागधी आगम साहित्य का अध्ययन करा रहे हैं साथ ही आगम-साहित्य सेवा भी कर रहे हैं। उनकी कृतियों में सूत्र - कृतांग टीका हजारीमल स्मृति ग्रन्थ, मुनि मिश्रीलालजी अभिनन्दन ग्रन्थ आदि प्रमुख हैं।
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जैन - संस्कृत साहित्य के क्षेत्र में
दिगम्बर जैन परम्परा का संस्कृत साहित्य प्रचुर मात्रा में लिखा गया । इसकी प्राचीनतम परम्परा ७ वीं सदी से प्रारम्भ मानी जाती है, जो १५-१६ वीं सदी तक निर्बाध चलती रही। इसमें सभी विधाएँ उपलब्ध हैं यथा - रामकथा - सम्बन्धी साहित्य - पद्मचरित (रविषेण, ६७६ ई.) एवं रामचरित ( सोमसेन भट्टारक, १६६७ वि. सं.) । महाभारत कथा-सम्बन्धी साहित्य - हरिवंशपुराण ( जिनसेन, ७८३ ई. के पूर्व ), हरिवंशपुराण (सकलकीत्ति, वि. सं. १४५०-१५१० ) तथा पाण्डवपुराण ( शुभचन्द्र, १५५१ ई.) । पौराणिक कथा - साहित्य - आदिपुराण (जिनसेन द्वितीय - ८९८ ई.) उत्तरपुराण ( गुणभद्र ९ वीं सदी ई.) एवं त्रिषष्ठिस्मृतिशास्त्र ( आशाधर १३ वीं सदी), चरितकाव्य - वरांगचरित ( जयसिंह नन्दि ८ वीं सदी), चन्द्रप्रभचरित ( वीरनन्दि), धर्मशर्माभ्युदय काव्य ( हरिचन्द्र ), शान्तिनाथचरित ( असग, १० वीं
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तीर्थंकर : मार्च ७९/१९
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