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________________ को सही दवा देने के बदले, पैसा ऐंठने के मतलब से ग़लत दवा देता है और रोग को लम्बान में डालता है तो इसमें दोष उस चिकित्सक - विशेष का है, न कि चिकित्सापद्धति या औषधि का । असल में धर्म की सर्वजन एवं प्राणिमात्र हितार्थता को समझने की ज़रूरत है । - हरखचन्द बोथरा कलकत्ता २. जैन पारिभाषिक शब्दों के अंग्रेजी पर्याय मई १९७८ के अंक में वर्णी सहजानन्दजी के जीवन के परिचय में, उसके लेखक प्रो. लक्ष्मीचन्द्र जैन ने उनके साथ जैन पारिभाषिक शब्दों की अंग्रेजी में समानार्थक शब्दावली तैयार करने का उल्लेख किया है । यह प्रयत्न अत्यन्त आवश्यक होने से स्तुत्य है । वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अंग्रेजी भाषा का महत्त्व एवं विस्तार बढ़ रहा है । प्रतिवर्ष जैनधर्म पर १५-२० पुस्तकें अंग्रेजी में प्रकाशित होती हैं । ऐसी स्थिति में, जैन पारिभाषिक शब्दों के अंग्रेजी मानक शब्दों में एकरूपता रहनी चाहिये । सन् १९३०-४० जैनधर्म पर प्रकाशित अंग्रेजी की पुस्तकों में 'सम्यक् दर्शन' के अंग्रेजी अनुवाद में 'राइट बिलीफ' और 'राइट फेद' दोनों का प्रचलन था । कहना न होगा, कि इनमें से 'राइट फेद' ही 'सम्यक् दर्शन' का अर्थसूचक होने से उपादेय है। इसके लिए एक प्रामाणिक शब्दकोश के निर्माण की आवश्यकता है । इसकी पूर्व तैयारी में ऐसी शब्दावली का प्रकाशन मार्गदर्शक तथा उपयोगी होगा । यदि 'तीर्थंकर' में प्रतिमास २ - ३ पृष्ठों में इस शब्दावली का प्रकाशन किया जाए, तो वह अंग्रेज़ी के ऐसे लेखकों तथा पाठकों के लिए बड़ा सहायक सिद्ध होगा । - केशरीमल जैन, शाजापुर घिरा काँटों से चतुर्दिक् हँस रहा फिर भी नहीं चेहरे पर कोई शिकन नहीं इसको पता कहते कसे मातम नहीं शिकवा, शिकायत भी नहीं कोई भले ही शूल तीर्थंकर : जन. फर. ७९/४६ Jain Education International ( पृष्ठ ४३ का शेष ) इसको दे रहे दिन-रात तीखी-सी चुभन इस फूल से कुछ सीखना तुम धर्म अपना आज मानो आदमी हो आदमी की तरह जीना जरा जानो । For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520604
Book TitleTirthankar 1978 11 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Jain
PublisherHira Bhaiyya Prakashan Indore
Publication Year1978
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tirthankar, & India
File Size6 MB
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