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हँसते-हँसते जियें करें
- निजामउद्दीन शबे तारीक ओ बीमे मौज ओ गिरदाबे चुनी हायल कुजा दानन्द हाले माँ सुबुकसाराने साहिल हा
-हाफिज़
(रात का अंधेरा है, लहरें उठ रही हैं, भँवर चक्कर में डाल रहे हैं। जो किनारे पर आराम से खड़े हैं वे हमारा हाल क्या जानें!)
बरामदे में पत्नी, दो बच्चों-सहित बैठा चाय पी रहा था। शाम के बजे होंगे यही कोई छह । धूप-उजली-चमकीली धुप-चारों ओर फैली थी। बस यों ही इधर-उधर की बातें हो रही थीं। साथ बैठी थी पड़ौस की सूरत-सीरत से भलीभोली एक कश्मीरी महिला-संभ्रान्त परिवार की। यदि वह सौन्दर्य में कश्मीरी युवती का प्रतिनिधित्व करती है, तो संवेदनशील, हमदर्द, सुख-दुःख में शरीक एक आदर्श हमसाये का भी प्रतीक है। ऐसे हमदर्द पड़ौसी भाग्य से ही मिलते हैं। खुदा उसे अमान में रखे। हाँ, तो उस समय (अब लिखते हुए आँखें छलक पड़ीं) इकलौती लड़की किताबों में कुछ ढूंढ कर दूसरे कमरे में पत्नी के पास चली गयी, जो कुछ सी रहीं हैं-कलम कुछ क्षण रुकती है-हाथ में कम्पन आ जाता है--साहस कर संभलकर लिखता हूँ (दिल-मस्तिष्क अभी भारी है) मेरा सबसे छोटा बच्चा उठ कर द्वार पर जाकर लौट आता है, शायद किसी ने दस्तक दी थी। वह मेरे हाथ में तार देता है। एकदम से मैंने उसे खोल डाला-एक-एक शब्द को कई बार देखातिथि-समय-पता-(एक आह भर कर रह जाता हूँ)-मैंने जबान भी न खोली थी कि वह बच्चा बोल उठा—'मम्मी अज़हर आ रहा है'। 'अजहर आ रहा है क्या ?' पत्नी ने उसकी बात सुनकर मेरी ओर देखकर पूछा। मैंने उनकी आँखों-में-आँखें डालकर कहा-'हाँ, आने वाला है'। थोड़ा मुस्कराया कहते हुए । 'आने वाला है तो तार अभी से देने की क्या ज़रूरत थी?'--पत्नी ने पूछा। ‘पागल है'--बिना आँखें उठाये मैं बोला। पास बैठे दोनों बच्चे बहुत खुश थे कि उनका भाई आ रहा है (मेरठ से--गाँव बलैनी से)। पड़ोसन भी खुश हुई। फिर अजहर के विषय मेंउसकी 'मिर्गी' के, स्वभाव के, सुन्दर स्वास्थ्य के बारे में बातें करते छोड़ मैं ऊपर कमरे में अकेला जाकर लेट गया-हृदय में शोक का अथाह सागर भरे हुए--एक तूफान लिये। इधर-उधर करवटें बदलता रहा--सूर्यास्त हो गया, हाँ 'सूर्यास्त' । उठ कर कुछ ग़म ग़लत करने पहुंचा पास ही एक कश्मीरी प्रोफेसर के घर। उन्हें अकेला पाकर--अन्धेरे में मेरे धैर्य के बांध टुट गये--काफ़ी देर अश्रुपात करता रहा'मेरा बच्चा गाँव में खत्म हो गया'--उनके पूछने पर मेरे मुख से निकला। ‘कैसे ? क्या हुआ? कोई आया है-तार--ख़त कुछ मिला है।' उन्होंने एक साथ पूछा।
तीर्थंकर : जन. फर. ७९/१९
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