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________________ पढ़कर सुनायी थी?" मतलब यह कि आप की राय में मैं लेखक नहीं हैं, पर मेरी राय में तो आप अनपढ़ भी हैं-इस लायक भी नहीं कि कोई पुस्तक बाँच सकें। जरा-सी सहिष्णुता और सरसता ने नाराजी के क्षण को अपने लिए, उनके लिए, और सबके लिए जीवन को गुदगुदाने वाला क्षण बना दिया और घमण्ड का सिर भी झुका दिया। महान लेखक श्री पद्मसिंह शर्मा और महान् कवि श्री जगन्नाथदास 'रत्नाकर' साथ-साथ जा रहे थे। शर्मा जी पतले-छरहरे, तेज-तर्राक़ और 'रत्नाकर' जी मोटे, भारी-भरकम और रईस-मिजाज़ । तो शर्मा जी की चाल यों कि झपटतेसे; और 'रत्नाकर' जी की चाल यों कि हिलते-से दिखायी दें। ऊब कर शर्मा जी ने कहा, "रनाकरजी, आप भी क्या जानमाशे (बारात ठहरने का स्थान) जैसी चाल चलते हैं।" _ उचित है कि 'रत्नाकर'जी यह सुनकर अपने मुटापे पर झेंप जाएँ और यह क्षण उदासी का क्षण बन जाए, पर 'रत्नाकर'जी झेंपे नहीं, बोले-"मैं कोई डाक का हरकारा तो हूँ नहीं, कि जब चलू, भागता हुआ ही चलूँ!" इस उत्तर ने उस उदासी और झेंप के क्षण को गुदगुदाने वाला क्षण बना दिया और दोनों ही महान, बालकों की तरह खिलखिला कर हँस पड़े। 00 गाँधीजी को उनके सब कार्यकर्ता बापू कहते थे, और उनके साथ बापू-जैसा ही बेतकल्लफ व्यवहार करते थे। बातों-बातों में एक दिन एक कार्यकर्ता को मज़ाक सझी, तो उसने कहा, "बापू आप गौओं की सेवा के लिए बहुत-से काम करते हैं और संस्था चलाते हैं, पर एक प्राणी गाय से भी अधिक निरीह है, लोग उस पर मनमाना अत्याचार करते हैं, उसे खाना भी ठीक से नहीं देते। वह है गधा। क्या आप उस बेचारे के लिए कुछ न करेंगे?' बापू बोले-"तुम्हारी बात ठीक है। मैंने गौओं की सेवा के लिए गौ-सेवकसंघ की स्थापना की है। अब तुम गधा-सेवक-संघ की स्थापना कर उसके महामंत्री बन जाओ, तो बहुत अच्छा हो।" गांधीजी के प्रस्ताव पर सब लोग खिलखिला कर हँस पड़े और गधे की बात ने सब के जीवन को क्षण-भर के लिए आनन्द से गुदगुदा दिया। जी हाँ, गधे की बात ने। 00 अच्छा गधा-सेवक-संघ का मंत्री बनना तो फिर भी एक सार्वजनिक पद पाना है, पर किसी को गधा कहना और वह भी भरी सभा में कैसा है ? जी, तीर्थंकर : जन. फर. ७९/१० Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520604
Book TitleTirthankar 1978 11 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Jain
PublisherHira Bhaiyya Prakashan Indore
Publication Year1978
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tirthankar, & India
File Size6 MB
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